-टीकाराम सिंह की रिपोर्ट
उत्तरकाशी. कोरोना काल के दौर में बड़ी संख्या में महानगरों से युवा गांव लौटे हैं. राज्य में कोरोना के कारण पर्यटन स्थलों पर भी देश विदेश के पर्यटक इस बार नहीं चहुंचे, लेकिन इस बार गांव लौटे युवाओं ने अपने क्षेत्र के पर्यटक स्थलों, मखमली बुग्यालों की प्राकृतिक सुंदरता का जमकर लुत्फ उठाया. उत्तराखंड के युवाओं ने अपने क्षेत्र के सुरम्य सुदंर पर्यटक स्थलों की यात्रा करने के साथ साथ इन स्थलों को सोशल मीडिया के जरिए उनकी महत्ता और सौंदर्य से लोगों को भी अवगत कराया.
पंवाली, खतलिंग, बेलक-कुश कल्याण बुग्याल जैसे स्थलों पर बड़ी संख्या में युवा पहुंचे और वहां की अप्रतिम प्राकृतिक सुंदरता को रोजगार से जोड़ने आदि की ओर भी सरकार से अपेक्षा की. ऐसी ही एक यात्रा गाज्णा के ठाण्डी गांव के टीकाराम सिंह ने है उत्तरकाशी के बेलक-कुश कल्याण बुग्याल तक की और वहां से लौटकर अनेक सेभावनाओं पर सरकार व लोगों को ध्यान खींचा.
13500 फीट की ऊंचाई पर स्थिति बेलक-कुश कल्याण बुग्याल
हिमालय का आंचल ताल और बुग्याल (मखमली घास के मैदान) की सुंदर वादियों में फैला हुआ है. पर इनमें अधिकांश वादियां पर्यटकों की नजर से ओझल हैं. इन्हीं ताल-बुग्यालों में शामिल है उत्तरकाशी का बेलक-कुश कल्याण बुग्याल. कहा जाता है कि स्वर्गारोहण के समय पांडव इन्हीं बुग्याल से गुजरे थे. करीब 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थिति बेलक-कुश कल्याण बुग्याल क्षेत्र 25 किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में फैला हुआ है. एक समय यह भी था जब यह क्षेत्र चारधाम के तीर्थयात्रियों से गुलजार रहता था. जब से सड़क संसाधन की सुविधा मिली तब से यह क्षेत्र केवल किस्से-कहानियों तक ही सीमित है.
यहां पहुंचने के लिए हैं उत्तरकाशी जनपद से पांच रास्ते
बेलक और कुश कल्याण बुग्याल को पहुंचने के लिए उत्तरकाशी जनपद से पांच रास्ते हैं. जबकि एक रास्ता टिहरी के बूढाकेदार से भी है. चारों ओर से रास्ते होने के बावजूद बेलक और कुश-कल्याण बुग्याल का पर्यटन क्षेत्र के रूप में कल्याण नहीं हो सका है. इन रास्तों में एक रास्ता लाटा-सिल्ला, दूसरा लाटा सौरा-बेलक जौराई, तीसरा रास्ता नलूड़ा-स्याबा-बेलक, चौथा रास्ता ठांडी-कमद-बेलक जौराई, पांचवां रास्ता चौरंगी हरूंता-बेलक शामिल है. जबकि एक रास्ता बूढ़ाकेदार से होकर जाता है.
12 से लेकर 15 किलोमीटर का पैदल ट्रैक
इन सभी मार्गों पर 12 से लेकर 15 किलोमीटर का पैदल ट्रैक है. जिला मुख्यालय से भी यह बुग्याली क्षेत्र 60 किलोमीटर की रेंज में है, लेकिन पर्यटन विकास की दृष्टि से यह क्षेत्र उपक्षित है. पर्यटन विभाग के पास न तो इस क्षेत्र का कोई मैप है और न इस क्षेत्र से संबधित कुछ जानकारी. अगर कुछ जानकारी हो तो कुश कल्याण और बेलक के निकट पडऩे वाले दर्जन भर गांवों के लोगों को है.
गुड टूर, गुड फूड व गुड मूड में अपार संभावना : टीकाराम सिंह
गाज्णा के ठाण्डी गांव के टीकाराम सिंह जो एक पहाड़ी फ्यूजन फूड के शेफ भी हैं और पहाड़ के पुराने खाने क़ो फ्यूजन क रूप भी दे रहें हैं, उनका कहना है यादि सरकार हमारी कुछ सहायता फूड टूर मूड की कैंपियन में करे तो एक साथ तीन क्षेत्रों के लोगों को रोजगार मिल सकता है. गुड टूर में गाइडों को रोजगार और गुड फूड में स्थनीय होटल व्यवसायी शेफ और गूड मूड में स्थानीय कलाकारों क़ो रोजगार मिल सकता है.
कुश कल्याण से करीब 20 किलोमीटर आगे सहस्त्रताल
कुश कल्याण से करीब 20 किलोमीटर आगे सहस्त्रताल है. वह भी पर्यटन और तीर्थाटन की उपेक्षा का दंश झेल रहा है. वे कहते कि एक समय ऐसा था जब सड़क मार्ग नहीं थे, तब चारधाम यात्री गंगोत्री से लाटा होते हुए बेलक पहुंचते थे. पुराने समय में इसे बेलक चट्टी भी कहते थे. बेलक से बुढ़ाकेदार, घुत्तू, पंवाली कांठा होते हुए यात्री त्रिजुगीनारायण पहुंचते थे.
कदम-कदम पर हैं बुग्याल और ताल
शेफ टीकाराम सिंह बताते हैं बेलक, जौराई-कुश कल्याण क्षेत्र में कदम-कदम पर बुग्याल और ताल हैं, लेकिन ये सब पर्यटकों की नजर से ओझल है. इस क्षेत्र की पौराणिक मान्यता भी है. कहते हैं कि स्वर्गारोहण के दौरान पांडवों ने भी इस बुग्याल में विश्राम किया था और उसके बाद वह यहां से होते हुए केदारनाथ की ओर रवाना हुआ. इसी के तर्ज पर इस बुग्याल की चोटी को पांडव चोटी भी कहा जाता है. कमद से जो रस्ता पड़ता है यहां से जो रस्ता है वो अति सरल है और सुगम है रास्तों मे 2 3 झरने भी पड़ते हैं.
जिला पंचायत सदस्य प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रदीप भट्ट दिलाएंगे पर्यटन क्षेत्र को पहचान
भण्युडि बुग्याल जो मोटर मार्ग से 1 किलोमीटर पर है जो कुश कल्याण ट्रैक का बेस कैंप है और यात्री यहीं से अपनी यात्रा का शुभारंभ करते हैं. गाज्णा के ऊर्जावान यस्वश्वी जिला पंचायत सदस्य और उत्तराखण्ड जिला पंचायत सदस्य प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रदीप भट्ट जी ने भी इस बुग्याल क़ो प्रसिद्ध बनाने के लिए हर संभव मदद देने का वादा किया. क्योंकि आज तक हर सरकार और हर राजनेता ने इस क्षेत्र की अनदेखी की है, लेकिन दूरदर्शी सोच के महान पारखी भट्ट जी ने कहा मेरा मुख्य ध्यान इस पर्यटन क्षेत्र में रहेगा और इसको जरूर एक नयी पहचान दिलाकर ही दम लूंगा.