टिहरी. देशभर में इन दिनों केंद्र द्वारा लाए गए किसान बिल को लेकर किसानों में आक्रोश है. देशभर की कृषि मंडियों में इस बिल के विरोध में आंदोलन प्रदर्शन चल रहे हैं. कांग्रेस भी इस बिल का संसद से लेकर सड़कों तक विरोध कर रही है. बिल के विरोध में उत्तराखंड में भी कांग्रेस केंद्र के इस निर्णय को किसान विरोधी करार देते हुए मुखर है. इस संबंध में जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष श्री राकेश राणा ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा देश के खेत-मजदूर और किसान को गुलाम बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है. श्री राकेश राणा ने कहा कि अगर मंडिया खत्म हो गई तो किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा कैसे? देगा कौन? कैसे लेगा किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य? क्या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया साढ़े 15 करोड़ किसानों के खेत में जाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर आयेगी.
श्री राणा ने कहा कि केंद्र यह भूल गया है कि मंडियों में आढ़ती, मजदूर, मुनीम, ट्रांसपोर्टर, भार तोलने वाला, फसल और जमीन की सफाई करने वाला, अनेकों लाखों-करोड़ों लोग अपनी आजीविका पालते हैं. कांग्रेस जिलाध्यक्ष राणा ने कहा कि 2 फीसदी मार्केट फीस प्रांत मंडियों के अंदर लगाते हैं, जो FCI देती है किसान नहीं, ग्रामीण विकास फंड 2% से 3% लगता है, जिसकी कीमत भी FCI या प्राइवेट खरीददार देते हैं किसान नहीं, केंद्र अगर इस बिल के जरिए प्रांतों की आय छीन लेगा, तो प्रांत कहां जायेंगे?
उन्होंने कहा भाजपा द्वारा लाए गए कृषि बिल से किसानों के साथ लूट को कानूनी रूप मिल जाएगा और देश का किसान ठगा सा रह जाएगा. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिल में न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित गारंटी का न होना सरकार की मंशा को उजागर कर रहा है, केंद्र की इस जिद से 62 करोड़ भारतीय प्रभावित होंगे. राणा ने कहा कि केंद्र सरकार हर व्यक्ति के कृषि संबंधित बिलों के विरोध को दरकिनार कर रही है. कांग्रेस जिला अध्यक्ष श्री राणा ने राष्ट्रपति से मांग की कि संसद में कृषि संबंधी विधेयकों को ‘असंवैधानिक’ तरीके से पारित किया गया है, इसलिए राष्ट्रपति को इन विधेयकों को संतुति नहीं देकर इनको वापस भेजना चाहिए.