देहरादून। उत्तराखंड में पिछले दिनों से जारी राजनीतिक उठापटक का आज पुष्कर सिंह धामी (puskar singh dhami) जी के नए मुख्यमंत्री बनने के साथ पटाक्षेप हो गया। पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौंपकर पार्टी आलाकमान ने एक तीर से कई निशाने साध दिए हैं।
उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी में मुख्यमंत्री बनने के पीछे उनका नाम और अब तक के काम दोनों काम आये है। पुष्कर सिंह धामी कुमाऊँ मंडल से होने के कारण भी उनके पक्ष में माहौल माकूल बन गया।
श्री त्रिवेंद्र रावत को हटाकर श्री तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी आलाकमान की जो फजीहत हुई, अब इस फजीहत के बाद नए मुख्यमंत्री को बनाने का फैसला फूँक फूँक कर लिया गया है।
पार्टी के इस फ़ैसले को देखकर साफ संकेत हैं कि पार्टी ने अब 2022 के लिये सत्ता में वापसी का ब्लूप्रिंट बना लिया है, जिसमें नए चेहरों पर दांव लगाकर पार्टी पुराने चेहरों को आराम देने के मूड में है।
इसलिए तीरथ रावत जी के इस्तीफे के बाद जो कयास लगाए गए उनमें सतपाल महाराज, धनसिंह रावत आदि सभी को पीछे छोड़कर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के दो बार रहे प्रदेश अध्यक्ष और खटीमा से विधायक श्री पुष्कर सिंह का नाम और पार्टी के लिये उनके काम ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया।
पुष्कर सिंह धामी की छवि युवा नेता के रूप में राज्य के मुद्दों पर बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलन प्रदर्शन, युवाओं के लिये सतत संघर्ष की रही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अनुभवी नेताओं को पीछे छोड़कर जिस तरह सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं, राज्य में विकास की गति भी उसी तरह तेज करेंगे।