देहरादून। आज पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज जी ने गढ़ी कैंट स्थित उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के सभागार में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक में प्रतिभाग किया।
पर्यटन मंत्री ने यहाँ अधिकारियों को विभागों में रिक्त पड़े पदों को शीघ्र भरने के निर्देश देते हुए शत-प्रतिशत बजट खर्च करने के निर्देश देने के अतिरिक्त, विकास कार्यों में लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्यवाही की चेतावनी भी दी।
सतपाल महाराज जी द्वारा यूटीडीबी मुख्यालय एवं जनपदीय कार्यालयों में 6 खेल अधिकारी, 11 फील्ड सहायक, 9 वैयक्तिक सहायक-द्वितीय, 4 प्रशासनिक अधिकारी, 9 मुख्य सहायक, 2 वैयक्तिक सहायक-प्रथम, 25 एडवेंचर विंग के पदों सहित सभी 126 पदों पर शीघ्र भर्ती के निर्देश दिए।
संस्कृति विभाग में भी भरे जाएंगे 31 पद
राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज जी ने संस्कृति विभाग में भी रिक्त पड़े सहायक लेखाकार, कनिष्ठ सहायक, मानचित्रकार, रसायनविद्, कनिष्ठ प्राविधिक सहायक, कनिष्ठ प्रवक्ता एवं संगीतकर्ता के सभी 31 पद तत्काल भरने को कहा।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले प्रदेश के तीर्थयात्रियों को अब दोगुना अनुदान
बैठक के दौरान उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले प्रदेश के तीर्थयात्रियों को अब दोगुना अनुदान राशि देगी। सरकार की ओर से अभी तक प्रति यात्री 25 हजार रुपए की अनुदान राशि दी जाती थी, जिसे बढ़ाकर 50 हजार रुपए करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘प्रसाद योजना’ के तहत श्री केदारनाथ के रूट पर अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए 34.78 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान करते हुए भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की ओर से अब तक 27.83 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है।
योजना के तहत धाम में होने वाले सभी विकास कार्य पूरे किए जा चुके हैं। वहीं, श्री बद्रीनाथ धाम के लिए योजना के तहत भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की ओर से 39.23 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत करते हुए 11.77 करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। इसकी मदद से बद्रीनाथ धाम में विकास कार्य तेजी से किए जा रहे हैं।
गंगोत्री-यमुनोत्री के विकास कार्यों के लिये 54.35 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति
पर्यटन मंत्री ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि इसके साथ ही ‘प्रसाद योजना’ के तहत गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिए होने वाले विकास कार्यों की 54.35 करोड़ रुपए की डीपीआर पर प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है। प्रदेश भर में 135 पर्यटन सर्किटों को विकसित किया गया है। जिसमें गढ़वाल मंडल में 77 और कुमाऊं मंडल में 58 सर्किट हैं।
इस दौरान बैठक में अधिकारियों को अवगत कराया कि ‘स्वदेश दर्शन योजना’ से उत्तराखंड पर्यटन नए कलेवर में निखरकर सामने आ रहा है। योजना के तहत टिहरी में ईको एवं एडवेन्चर डेस्टिनेशन के लिए 69.71 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। योजना के तहत सभी विकास कार्यों को पूरा कर लिया गया है।
वहीं, कुमाऊं हैरिटेज सर्किट के लिए 76.32 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान करते हुए भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की ओर से 67.62 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है।
टिहरी झील के विकास कार्यों के लिए डीपीआर तैयार करने के निर्देश
पर्यटन मंत्री द्वारा टिहरी झील के समग्र विकास के लिए शासन की ओर से चिन्हित किए गए कार्यों की डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके तहत टिहरी झील में विभिन्न विकास कार्य कर टिहरी को पर्यटन हब बनाया जाएगा। इसके अलावा, चमोली स्थिर घेस ट्रेक को खोलने की बात कही है।
बैठक में पर्यटन सचिव श्री दिलीप जावलकर जी, पर्यटन अपर सचिव श्री युगल किशोर पंत जी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक पर्यटन) कर्नल अश्विन पुंडीर जी, जीएमवीएन प्रबंध निदेशक डॉ. आशीष चौहान जी, पर्यटन निदेशक श्री प्रशांत कुमार आर्य जी, वित्त निदेशक श्री जगत सिंह चौहान जी, संस्कृति विभाग निदेशक श्रीमती बीना भट्ट जी, अपर निदेशक श्री विवेक चौहान जी, अपर निदेशक श्रीमती पूनम चंद जी, अपर निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल श्री दीपक खंडूरी जी, उप निदेशक श्री योगेंद्र कुमार गंगवार जी, रिचर्स ऑफिसर श्री एसएस सामंत जी, जिला पर्यटन अधिकारी श्री अतुल भंडारी जी समेत विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।