देहरादून. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देवस्थानम बोर्ड (Devasthanam Board) को लेकर केदारनाथ में आंदोलनरत तीर्थ पुरोहितों द्वारा दर्शन के बिना ही उल्टे पांव लौटने पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह (Pritam Singh) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
प्रीतम सिंह ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड एक्ट को जब भाजपा सरकार सदन में लाई थी, उसी समय कांग्रेस ने इस पर पुनर्विचार किए जाने की बात कही थी. तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों और स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित करे, लेकिन सत्ता के मद में मदमस्त सरकार ने बहुमत के आधार पर इसे पारित कर दिया था. प्रीतम सिंह ने कहा कि हमने सदन के भीतर और बाहर भी इसका पुरजोर विरोध किया था, परंतु सरकार ने हमारी नहीं सुनी, उसी की परिणति है कि आज पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी को केदारनाथ मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया. प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार अब भी होश में आए और इस विधेयक को तत्काल प्रभाव से समाप्त करे. वहीं कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आश्वासन दिया है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आयी तो उनकी मांगें मान ली जाएंगी.
दर्शन के बिना ही बैरंग लौटना पड़ा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को
बता दें कि सोमवार को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को देवस्थानम बोर्ड (Devasthanam Board) को लेकर केदारनाथ में आंदोलनरत तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा है और उन्हें केदारनाथ के दर्शन के बिना ही बैरंग लौटना पड़ा. पूर्व मुख्यमंत्री को केदारनाथ में मंदिर के रास्ते पर तीर्थ पुरोहितों ने काले झंडे दिखाए और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उन्हें वहां से वापस जाने को मजबूर कर दिया.
त्रिवेंद्र सिंह बाबा केदार के दर्शन भी नहीं कर पाए. प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर धनसिंह रावत और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भगवान केदारनाथ का दर्शन और पूजा अर्चना की. तीनों नेता शुक्रवार को प्रधानमंत्री के प्रस्तावित दौरे से जुड़ी व्यवस्था देखने के लिए केदारनाथ पहुंचे थे. सरकार ने उत्तराखंड के 51 मंदिरों के रखरखाव और प्रबंधन के लिए चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन के प्रावधान वाला अधिनियम दो साल पहले त्रिवेंद्र सिंह के कार्यकाल में ही पारित किया गया था.
चारों धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि बोर्ड का गठन उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन है. इसे भंग करने की मांग को लेकर वे लंबे समय से आंदोलनरत हैं. पुष्कर सिंह धामी ने जुलाई में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम के परीक्षण और उसमें ‘सकारात्मक संशोधन’ का सुझाव देने के लिए एक उच्च समिति गठित की थी. इस समिति ने पिछले महीने अपनी अंतरिम रिपोर्ट दी है. हालांकि, अभी उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है.
गंगोत्री, यमुनोत्री में पूजा पाठ का बहिष्कार किया
चारधाम देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के व्यापारिक प्रतिष्ठान सोमवार को पूरी तरह बंद रहे जबकि तीर्थ पुरोहितों ने श्रद्धालुओं का पूजा पाठ भी नहीं कराया. पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी दी और कहा कि यदि बोर्ड भंग नहीं किया गया तो आगे उग्र आंदोलन किया जायेगा.