गोविंद आर्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) जी का देहरादून दौरा आगामी महीने में चुनाव की आचार संहिता से पहले जहां विकास योजनाओं के शिलान्यास लोकार्पण के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा है, वहीं सियासी मायनों के लिये भी खास माना जा रहा है। जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) जी के युवा नेतृत्व की जमकर तारीफ की और धामी के कामों पर खुशी जता कर उनके ही नेतृत्व में आगे भी विकास का संकल्प व्यक्त किया. प्रधानमंत्री ने धामी की पीठ थपथपा कर और कंधे पर हाथ रखकर पर एक तीर से कई निशाने साध लिये. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की बाडी लैंग्वेज, कहने और हर इशारों के सियासी मायने होते हैं.
मोदी द्वारा जनसभा में धामी की पीठ थपथपना और कंधे पर हाथ रखने के भी बड़े सियासी मायने हैं. प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री धामी के काम से खुश हैं. साथ ही अपनों पर ही भरोसा जताकर कहा कि, उत्तराखंड के नवनिर्माण के लिए युवा सीएम के साथ 30-40 सालों के अनुभव वाले पूर्व मुख्यमंत्री की टीम काम कर रही है. यह बात तब और भी खास है, जब उत्तराखंड में पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया है और पार्टी ने चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ने की बात कही है. लेकिन पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के कंधों पर हाथ रखकर मोदी ने यह संकेत उत्तर प्रदेश की जनता को दे दिया था कि उत्तर प्रदेश में सीएम योगी की अगुआई में चुनाव लड़े जाएंगे और तब से योगी और मजबूती के साथ मैदान में डटे थे. देहरादून की जनसभा में यही संकेत प्रधानमंत्री जी ने उत्तराखंड को दिया है.
निश्चति तौर पर देहरादून की जनसभा के खुले मंच से मोदी के आशीर्वाद मिलने से मुख्यमंत्री धामी का आत्मविश्वास बढ़ेगा और यह देखा भी जा रहा है कि धामी ने अपने चुनावी क्षेत्र में अपने दौरे बढ़ा दिए हैं और उत्तराखंड की सत्ता में भाजपा को लाने के साथ साथ अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की कवायद और तेज कर दी है. क्योंकि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता से लेकर कम उम्र में ही मुख्यमंत्री के सिंहासन तक पहुंचने वाले धामी जी को उत्तराखंड के लिए ”जरूरी” के सियासी समीकरण भलि भांति पता हैं.
प्रधानमंत्री जी द्वारा धामी और अपने अनुभवी नेताओं पर भरोसा जताने के साथ उन नेताओं की मुराद को झटका लगना तय है जो यहाँ वहां जाने की खबरें प्लांट कर 2022 के बाद मुख्यमंत्री का ताज पहनने का आश्वासन पहले चाहते हैं. देहरादून की सभा के सम्बोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा में समर्पण दे साथ से जुड़े अपनों पर ही आत्मविश्वास और भरोसा जताया कर इरादे साफ कर दिए हैं. मोदी जी ने इस सभा में किसी अन्य नेता को प्रोजेक्ट नहीं किया है और न ही किसी अन्य को खास तवज्जो दी. पार्टी उत्तराखंड का आगामी चुनावी रण अपने युवा-अनुभवी नेतृत्व के विश्वास पर फतह करेगी.
भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार
देहरादून की रैली के इस बड़े संकेत से पार्टी के लिये समर्पण भाव से कार्य करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं में चुनाव मैदान में निश्चित रूप से उत्साह का संचार करेगा. इस बात के मायने साफ हैं कि उत्तराखंड के चुनाव के लिये प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र द्वारा उत्तराखंड को दी गई योजनाओं के बल पर खुद मोर्चा संभाल लिया है. ऐसे में जनप्रतिनिधियों के प्रति विभिन्न क्षेत्रों में आक्रोश और सत्ता विरोध के स्वर को दबाने आम मतदाता का ध्यान स्थानीय विकास से हटाकर सीधे राज्य के विकास और उत्तराखंड राज्य की तस्वीर बदलने वाली बड़ी परियोजनाओं की ओर जोड़ा दिया गया है.
पुराने बचेंगे, नए दावेदारों की राह कठिन
उत्तराखंड में कांग्रेस की मजबूत मोर्चेबंदी और आम आदमी पार्टी की चुनावी सक्रियता के बीच उत्तराखंड में प्रधानमंत्री जी द्वारा चुनावी मोर्चा संभालने और पार्टी के युवा व अनुभवी नेतृत्व में आगे बढ़ने की तैयारियों के बीच अब जिन विधानसभा क्षेत्र में नए दावेदार अपने लिये सम्भावनाएं देख रहे हैं, वहां उनकी मुरादों को झटका लग सकता है. मोदी की जनसभा में अपनों पर भरोसा का सियासी मतलब वर्तमान सरकार और वे अपने विधायक, जिनके बल पर उत्तराखंड में डब्बल इंजन पहाड़ों में विकास की गति पहुंचा रहा है उन पर भी यह भरोसा माना जा रहा है. ऐसे में 22 के चुनाव मोदी व विकास केंद्रित होने पर सबसे बड़ा चेहरा फिर मोदी ही होंगे और माना जा रहा है कि अधिकांश वर्तमान विधायकों को ही टिकट दिए जाएंगे.