गोविंद आर्य
उत्तराखंड में कांग्रेस की विजय सम्मान रैली के बाद उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) के लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया तेज हो गई है. उत्तराखंड में कांग्रेस की बागडोर इस बार गणेश गोदियाल (Ganesh Godiyal) जी के पास है और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) जी का लंबा राजनीतिक अनुभव, कांग्रेस के तेज तर्रार नेता प्रीतम सिंह (Pritam Singh) जी की भाजपा को सड़क से लेकर सदन तक हर मोर्चे पर घेरने की कुशल रणनीति, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय जी का कुशल मार्गदर्शन और भाजपा को चुनाव से पहले बड़ा झटका देकर घर वापसी कर कांग्रेस पार्टी को संजीवनी देने वाले यशपाल आर्य (Yashpal Arya), जैसे अनुभवी राजनीतिकों की लंबी फेहरिस्त उत्तराखंड में भाजपा के मुकाबले ज्यादा मजबूत है.
राज्य में भाजपा के बड़े लीडर उत्तराखंड की वर्तमान सरकार को स्थाई नेतृत्व देने में उनकी ही पार्टी आलाकमान की नजरों में नाकाम साबित हुए हैं और 5 साल की सरकार में राज्य को 3 मुख्यमंत्री देने पड़े हैं. उत्तराखंड में भाजपा जहां केंद्रीय लीडरशिप के भरोसे उत्तराखंड के चुनावी समर है, वहीं कांग्रेस राज्य में अपने मजबूत अनुभवी संयुक्त नेतृत्व के दम पर सत्ता हासिल करने इस बार जनता के सर्मथन की पुरजोर कोशिश में कर रही है.
उत्तराखंड में कांग्रेस अध्यक्ष श्री गणेश गोदियाल जी चुनावी रणनीति और बड़े बड़े राजनीतिक धुरंधरों को चुनावी मैदान में पटखनी देने के लिए कुशल रणनीतिकार माने जाते रहे हैं और इस बार के चुनाव में इस कसौटी पर खरा उतरने की बारी प्रदेशाध्यक्ष गणेश गोदियाल की भी है. कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड के सभी बड़े पार्टी नेताओं को दरकिनार कर इस बार प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी उन्हें राज्य में सत्ता स्थापित करने के लिए ही सौंपी है, जिसके लिए गोदियाल को राज्य में अपने और कांग्रेस के भविष्य की इस कठिन अग्निपरीक्षा में पास होकर दिखाने की भी चुनौती है.
विजय सम्मान रैली के बाद उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों के चयन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी उम्मीदवारों के साक्षात्कार ले रही है और पार्टी उम्मीदवारों के चयन में क्षेत्र की जनभावनाओं के अनुरूप 70 विधानसभा क्षेत्रों में जितना समझदारी दिखाएगी, 2022 का मुकाबला पार्टी के लिए उतना ही आसान होगा.
कांग्रेस के लिए इस बार उत्तराखंड में पिछले चुनाव वाले राजनीतिक मिजाज की स्थिति भी नहीं है कि एक बार भाजपा, एक बार कांग्रेस को जनता मौका दे. इस बार राज्य में फाइट नेट टू नेट है और भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) की तेज राजनीतिक बल्लेबाजी से अपना मैच आसानी से गंवाने की फिराक में नहीं है. ऐसे में कांग्रेस को उम्मीदवारों के चयन में फूंक फूंक कर कदम रखना होगा.
गुटबाजी, हवाबाजी दावेदारों को छोड़ दें तो उम्मीदवारों का चयन कांग्रेस के लिए भारतीय जनता पार्टी से कम माथापच्ची वाला है, क्योंकि राज्य में पार्टी के वर्तमान विधायकों की संख्या दर्जनभर भी नहीं है. ऐसे में कांग्रेस अपने 10 विधायकों की सीट के अलावा 60 सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट देकर भाजपा से दो कदम आगे निकल सकती है. कांग्रेस को जीत के लिए 2017 के चुनाव में भाजपा के जीते उम्मीदवार से 50 प्रतिशत कम वोट से हारे कांग्रेस उम्मीदवारों को इस बार टिकट देने से बचना होगा और मोदी लहर में भाजपा से कड़े मुकाबले के बावजूद 10,000 से ज्यादा वोट पाए या 2017 में जीते उम्मीदवार से 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने वाले कांग्रेस दावेदारों को प्राथमिकता देनी होगी. उत्तराखंड में भाजपा को सत्ता से उखाड़ने और कांग्रेस को राज्य की सत्ता में स्थापित करने की राह में कांग्रेस का उम्मीदवारों को निष्पक्ष चयन और टिकट बंटवारा अहम भूमिका निभाएगा.
पहाड़ी सीटों की जीत आसान करेगी सत्ता की राह
कांग्रेस को उम्मीदवारों का चयन में इस बार मैदानी सीटों से ज्यादा पहाड़ी जिलों की सीटों पर सर्तकता से करना होगा. उत्तराखंड में 2017 के मुकाबले 2022 का चुनावी मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच ही नहीं, बल्कि अब कर्नल कोठियाल की आम आदमी पार्टी से भी है, जो 2022 में उत्तराखंड की सत्ता में आने के लिए बेताब है. आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड की सत्ता में आने के जमीनी हकीकत से तो पर्दा चुनाव के बाद ही उठेगा, किंतु चर्चा आम है कि मैदानी क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए रोड़ा बन सकती है. 2022 के लिए प्रत्याशी चयन में कांग्रेस को इस बात पर गौर करना होगा कि आम आदमी पार्टी का असर अभी पहाड़ी सीटों पर देखने को नहीं मिला है और ऐसे में उत्तराखंड की सत्ता के रास्ते के लिए कांग्रेस को पहाड़ी सीटों पर ज्यादा फोकस करना होगा. यहां कांग्रेस का मुकाबला सिर्फ भाजपा से है, जबकि मैदानी सीटों पर आम आदमी पार्टी कांग्रेस के वोट का गणित बिगाड़ सकती है.