उत्तराखंड का पानी और उत्तराखंड की जवानी जैसे भावनात्मक लब्ज भले नेताओं के लिए राजनीतिक रैलियों में पहाड़ के युवाओं को अपनी ओर लुभाने के लिए और रोजी रोजगार के सब्जबाग दिखाने के लिए इस्तेमाल होते रहे हों, लेकिन पहाड़ का युवा पहाड़ छोड़कर भारतीय सीमाओं से लेकर घर की आर्थिक सुरक्षा तक में खुद को झोंकने में सबसे आगे रहा है.
पिछले सालों में कोरोना के दौर में जहां उत्तराखंड का युवा लाकडाउन के चलते रोजी रोजगार से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है वहीं कोरोना की मार भी सबसे ज्यादा पहाड़ के युवा वर्ग को झेलनी पड़ी है. कोरोना में लॉकडाउन में देश विदेश से बड़ी संख्या में पहाड़ की जवानी घर लौटी और इस भीड़ के बीच संक्रमण की शिकार हुई.
कोरोना लॉकडाउन के बाद मिली ढील और प्रतिबंध हटने के बाद पहाड़ की जो जवानी गांव लौटी थी वह धीरे धीरे अपने परिवार के भरण पोषण करने के लिए काम पर लौटने लगी. इस बीमारी के बाद हर परख पर जोखिम होने के बावजूद जिंदगी चलाने के लिए पहाड़ के युवा को कामकाज पर लौटना पड़ा. शहर से गांव और गांव से शहर की दौड़ की इस जद्दोजहद में लाखों उत्तराखंडी युवा वायरस से संक्रमित हुए. उत्तराखंड सरकार के कोविड आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में कोरोना की पहली लहर से लेकर रविवार 19 दिसंबर 2021 तक सबसे ज्यादा उत्तराखंड का युवा कोरोना की चपेट में आया है.
20 से 29 साल के 75108 युवा कोरोना संक्रमित हुए
उम्र के हिसाब से 30 साल से 39 आयुवर्ग वाले 82394 लोग कोरोना की चपेट में आए. उसके बाद उत्तराखंड की 20 से 29 साल की जवानी पर कोरोना ने हमले की शिकार हुई और राज्य में 75108 युवा कोरोना संक्रमित हुए. उत्तराखंड में तीसरे नंबर पर प्रभावित होने वाले आयुवर्ग में 40 से 59 वर्ष के 61364 लोग रहे. इसी तरह 50 से 59 आयुवर्ग के 45572 लोगों को कोविड संक्रमण हुआ. 60 से 69 आयु के 28518 तो 70 से 79 आयुवर्ग में 13651 लोग कोरोना ग्रसित हुए.
10 से 19 आयुवर्ग के 27038 बच्चों ने भी लड़ी कोरोना से जंग
उत्तराखंड में 80 से 89 की उम्र वाले 4128 लोगों को कोरोना से दो चार होना पड़ा, तो सबसे कम 90 पल्स के 413 बुजुर्ग इस महामारी की चपेट में आए. बच्चों और बुजुर्गों के लिए राज्य सरकार की खास गाइडलाइन के बावजूद बुजुर्ग भले कम प्रभावित हुए लेकिन राज्य में 0 से 9 साल के 6234 मासूमों का भी कोरोना से सामना हुआ. इसी तरह 10 से 19 आयुवर्ग के 27038 बच्चों ने भी कोरोना की जंग लड़ी.
कल रविवार 19 दिसंबर को मिले 13 केस
देश में ओमिक्रॉन (omicron) के बीच उत्तराखंड में रविवार 19 दिसंबर को कोरोना (corona) के 13 मामले दर्ज किए गए. राज्य में एक्टिव केस 169 हैं. राज्य में अब तक 344591 लोग संक्रमित हुए और इनमें से 2.15 प्रतिशत यानी 7413 लोगों की जान कोरोना से गई है.
वैक्सीन लेना बेहद जरूरी : डॉ. गोविंद सिंह रावत
उत्तराखंड में कोरोना काल में गांव लौटे युवाओं और गांवों को सुरक्षित रखने के लिए भिलंगना और प्रतापनगर क्षेत्र की 140 ग्राम सभाओं में 61 निशुल्क कैंप लगा कर कोरोना सुरक्षा अभियान व इम्युनिटी बूस्टर होमियोपैथी दवा आर्सेनिक एल्ब 30 बांटने वाले डॉ. गोविंद सिंह रावत ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए युवाओं को जल्द से जल्द अपना टीकाकरण पूर्ण करना चाहिए. डा. रावत ने कहा कि अन्य आयु वर्ग के लोगों के लिए भी ये टीका लेना उतना ही जरूरी है.
डॉ. गोविंद सिंह रावत ने कहा कि कामकाजी वर्ग अधिक लोगों के संपर्क में आता है, इसलिए उनसे ही घर के अन्य सदस्यों को संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है. इसलिए परिवार में सभी को टीकाकरण और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद जरूरी है. डॉ. गोविंद सिंह रावत ने कहा कि केंद्र के सहयोग से उत्तराखंड सरकार ने टीकाकरण में बेमिशाल उपलब्धि हासिल की है और ऐसे में सभी को अपना टीकाकरण अवश्य पूरा कराना चाहिए.
बता दें कि कोरोना काल में जहां गांवों के स्थानीय बाजारों में कई निजी डाक्टरों के शटर उाउन हो गए थे और प्रदेश से जाने वाले लोगों से लोग डर रहे थे, वहीं विनकखाल में होमियोपैथी अस्पताल चलाने वाले डॉ. गोविंद सिंह रावत ने अपने चिकित्सा धर्म का पालन करते हुए क्वारंटाइन सेंटरों, गांव गांव जाकर लोगों की थर्ममल स्क्रीनिंग, मास्क, आर्सेनकि एल्ब 30 बांटकर गांव और गांववासियों को सुरखित रखने में अहम भूमिका निभाई.