घनसाली. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मतदान खत्म होने के बाद अब चुनाव मैदान में अंतिम समय तक डटे रहे उम्मीदवारों को अपने पक्ष में पड़े वोटों के फिगर का इंतजार है. कुछ प्रत्याशी अपनी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं, तो कुछ अपने पक्ष में पड़ने वाले वोटों के आंकड़े के इंतजार में हैं.
चुनाव से पहले अपनी जीत के लिए आश्वस्त रहे कई प्रत्याशी अब अपने पक्ष में कितने वोट मिलते हैं और किसका खेल बिगाड़ते हैं, इस ओर 10 मार्च का इंतजार कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान कई उम्मीदवार चुनाव मैदान में गए तो कई ने नामांकन के बाद अपने नामांकन वापस भी लिए. इस दौरान घनसाली विधानसभा से जो नामांकन भाजपा के जिला उपाध्यक्ष सोहनलाल खंडेवाल ने किया उसे लेकर तब कई बातें कही गई. नामांकन से ज्यादा उनके नाम वापस लेने को लेकर चर्चा हुई. उन्होंने नामांकन क्यों कराया और कराया तो वापस क्यों लिया, इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाए गए.
लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सोहन खंडेवाल ने नामांकन कराकर और फिर नाम वापस लेकर बड़ी राजनीतिक समझदारी दिखाई है. टिकट न मिलने का आक्रोश और घनसाली में हमेशा की तरह चुनाव में निर्दलीय सीट निकालने का दम भरने वाले कुछ खास गुटों के जोश की भावना में बहकर भाजपा के सोहन खंडेवाल निर्दलीय चुनाव लड़ने की बागी उम्मीदवारों की प्रेस कांफ्रेंस में शामिल होकर बड़ी राजनीतिक भूल कर बैठे.
माना जा रहा है कि इस बात का अहसास जब सोहन खंडेवाल को हुआ तो उनके पास इससे बाहर निकलने का एक ही रास्ता था कि वे भी या तो चुनाव मैदान में जाएं या पार्टी को समर्थन जताएं. इसलिए सोहन खंडेवाल ने राजनीतिक समझदारी दिखाकर सीधे अपना नामांकन कर दिया और फिर पार्टी को यह बता दिया कि वे भाजपा से बगावत कराने पर आमादा निर्दलीय चुनाव लड़ाने वालों के झांसे में नहीं हैं, न ही भाजपा के बगावती को किसी तरह का समर्थन है.
नामांकन के साथ पार्टी में उनको मनाने की कोशिश शुरू हुई और अपना नाम वापस लेकर चुनाव से पहले ही खंडेवाल ने पार्टी और कार्यकर्ताओं का दिल जीत लिया. खंडेवाल ने चुनाव में भाजपा के लिए जनपद की अन्य सीटों पर प्रचार प्रसार में पूरी क्षमता के साथ अपनी ताकत झोंकी और भाजपा को विजय बनाने दिन रात गांव गांव प्रचार किया. इस चुनाव में घनसाली में परिणाम जो भी हो, लेकिन खंडेवाल भाजपा के विधायक शक्तिलाल शाह के बाद पार्टी में अब और भी कद्दावर नेता बन गए.