देहरादून. उत्तराखंड में सरकार के दोबारा कामकाज शुरू करने के साथ ही उत्तराखंडी जनमानस के हितों पर चुने गए जनप्रतिनिधियों ने आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है. विधानसभा चुनाव में चारोंखाने चित्त हुई मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भले अभी हार के सदमें से भी नहीं उभर पाई हो, लेकिन निर्दलीय चुनाव जीतकर आए खानपुर सीट के विधायक उमेश कुमार ने राज्य के मुद्दों पर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं.
पत्रकार से विधायक बने उमेश कुमार ने कहा है कि उत्तराखण्ड में लंबे समय से एक सशख़्त भू-कानून की मांग उठ रही है, जो कि जायज है. विधायक ने कहा कि आज उत्तराखंड में भू कानून के संशोधन के अध्ययन एवं परीक्षण के लिए गठित समिति की अगली बैठक भी है, वहीं अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं.
उमेश कुमार ने कहा कि राज्य की जनता हिमाचल की तर्ज पर अथवा एक ऐसा भू कानून जनता चाहती है, ताकि कोई भी पैसों के प्रभाव में या निवेश के चलते उत्तराखंड के मूल भू स्वामियों, किसानों को भूमिहीन न बना दे. उमेश कुमार ने कहा कि इस वक्त मुझे विधानसभा में आवाज उठाने की जिम्मेदारी मिली है तो मैं अपनी भूमिका बखूबी निभाउंगा. उन्होंने कहा, भले ही भाजपा व कांग्रेस में मेरे कई मित्र हों, सूबे के मुख्यमंत्री अथवा बड़े भाजपा के दिग्गज भी मेरे मित्र हों ,पर वो मित्रता व्यक्तिगत है और जनहित के मुद्दों को मित्रता के चलते नजरअंदाज नहीं किया जाएगा.
अपने मजबूत इरादे जाहिर करते हुए विधायक उमेश कुमार ने कहा कि इसलिए मैं आजतक उत्तराखण्ड में चली आ रही मित्र विपक्ष की भूमिका में नहीं हूं. मैं हर उस नीति का विरोध करता रहूंगा जो जनहित में नहीं होगी. विधायक उमेश कुमार ने सार्वजनिक रूप से एलान कर किया कि यदि भू कानून को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं लिया जाता तो मैं संवैधानिक रूप से एक बड़े जनांदोलन की दिशा में आगे बढूंगा.
इस आंदोलन की रूपरेखा जल्द ही जनता के सम्मुख रखूंगा और यह अब तक का सबसे बड़ा जनांदोलन होगा. उत्तराखंड के विधायक ने सूबे के मुख्यमंत्री से अपेक्षा की कि भू कानून को लेकर आपने जो समिति बनाई है वो जल्द इस सम्बंध में फैसला ले, ताकि जनता की भावनाओं का भी सम्मान हो.