श्री शीशपाल गुसाईं
श्री रघुवीर सिंह पंवार : 1980 में बीजेपी के मुंबई अधिवेशन में टिहरी गढ़वाल से प्रतिनिधित्व किया था. वरिष्ठ एडवोकेट व बीजेपी के वरिष्ठ नेता श्री रघुवीर सिंह पंवार ( 73 ) (Raghuveer Singh Panwar) का हाल ही में नई टिहरी निवास में निधन हो गया. वह सिर्फ 10 दिनों से घर पर बीमार रहे. पंवार एक विनम्र, व्यवहारकुशल, आम इंसान जैसे थे. अपने दल के लिए एक समर्पित नेता… की भूमिका उनमें देखी जाती थी. वह अपने दल क्या विपक्षी पार्टियों के नेताओं की कभी निंदा और चुगली नहीं करते थे. वह एक सुलझे हुए नेता थे. उनके व्यक्तित्व में एक ठहराव सा था.
8 अप्रैल 1949 को पंवार जी का ग्राम जखेड़, हिंसरियाखाल, पट्टी खास, देवप्रयाग, टिहरी में श्री थेपड़ सिंह के घर जन्म हुआ. वह पढ़ाई करने के लिए अपने जीजा जी के पास बांदा (यूपी ) चले गए थे.वहाँ उन्होंने आरएसएस की शाखा ज्वॉइन कर ली. बांदा के शिशु मंदिर पर ध्यान केंद्रीत किया. उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की तो अपने होम डिस्ट्रिक्ट 1974 में वकालत करने आ गए. आपने सीनियर एडवोकेट श्री लाखी राम सेमल्टी से एडवोकेट की प्रैक्टिस सीखी. साथ में संघ के विचारों को गांव गांव और कस्बे कस्बे तक ले गए. उन्होंने आरएसएस के डिस्ट्रिक्ट टिहरी कार्यवाह व जिला संचालक का पद भार संभाला.
1980 में बीजेपी का मुंबई में हुए अधिवेशन में उन्होंने टिहरी जिले से प्रतिनिधित्व किया तब बीजेपी में पंवार जी के अलावा श्री सुरेश चंद जैन, श्री ओम प्रकाश भट्ट, श्री रामानंद बधाणी होते थे. 1996 में वह टिहरी गढ़वाल के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए. जिला पंचायत सदस्य भी रहे तथा डिस्टिक कोऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष और चेयरमैन भी रहे. टिहरी गढ़वाल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी, नरेंद्र महिला विद्यालय में सदस्य, सरस्वती विधा मंदिर के प्रबंध समिति के अध्यक्ष सहित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भी थे पंवार जी. उन्हें सीनियर क्रिमिनल लॉयर का खिताब हासिल था.
बीजेपी ने उन्हें 2002 में देवप्रयाग से टिकट दिया, किंतु वह कांग्रेस के श्री मंत्री प्रसाद नैथानी से पराजित हो गए. उन्होंने भाजपा की मुख्यधारा में रहकर काम किया. कभी पद का घमंड नहीं पाला. पुरानी टिहरी में उनका घर चणो के खेत में था. चणों के खेत की पैदल रोड बस अड्डे और घनसाली रोड से कटती थी, जो हॉस्पिटल में निकलती थी. एक दूसरी पैदल की रोड थी जो पकौड़ी वाली गली से उसी हॉस्पिटल के नाके पर मिलती थी. पंवार जी का घर यहीं था. चणों के खेत राजशाही के जमाने से ही मशहूर थे, वहां कभी चणो की खेती खूब होती थी और भैंसों की लड़ाइयां भी होती थी. पंवार जी को कई बार नई टिहरी में पैदल चलते डॉ. जेपी बहुगुणा के क्लिनिक पर सर्दियों में भी उन्हें देखा जाता था. पंवार जी के निधन से एक कुशल बैचारिक राजनीतिज्ञ की कमी टिहरी को खलेगी.