नवी मुंबई। कौथिग 2024 के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के इतर इस बार देव भूमि स्पोर्ट्स फाउंडेशन और उत्तराखंड राज्य विज्ञान और तकनीकी परिषद (Uttarakhand State Council of Science and Technology) के संयुक्त तत्वावधान में उत्तराखंड के तकनीकि विकास में योगदान देने के लिए भाभा परमाणु संस्थान के वैज्ञानिकों का सम्मेलन उतराखंड भवन, वाशी नवी मुंबई में आयोजित किया गया।
इस सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रदेशों में काम करने वाले उत्तराखंड मूल के विद्वान, वैज्ञानिक, साहित्यकार, संगीतकार, पत्रकारिता आदि क्षेत्र के कई लोगों ने उत्तराखंड के तकनीकी विकास पर मंथन किया। इस सम्मेलन में उतराखंड राज्य विज्ञान और तकनीकी परिषद के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने उत्तराखंड में हो रहे तकनीकी विकास की जानकारी देते हुए प्रवासी वैज्ञानिकों का आह्वान कि वे राज्य के विकास में अपना योगदान दें। प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि उत्तराखंड तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। राज्य में अनेक तकनीकी विकास की अनेक योजनाएं धरातल पर साकार की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि देहरादून में देश की पांचवीं साइंस सिटी बनाई जा रही है। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और विभिन्न क्षेत्रों में पारंगत लोगों से एक यूकास्ट के जरिए पूल बनाकर सरकार के साथ काम करने की अपील की। इस दौरान सभी ने आपसी सहयोग और मिलकर काम करने के समर्थन में अपने विचार रखें।
सरकार दे अवसर तो गुफाओं में बना सकते हैं वैज्ञानिक प्रयोगशाला
इस दौरान भाभा परमाणु संस्थान के वैज्ञानिकों ने कहा कि उत्तराखंड में अनेक प्राकृतिक खूबियां हैं, जो विश्व में कहीं नहीं हैं। इन अवसरों का राज्य के विकास में वैज्ञानिक इस्तेमाल कर रोजगार की संभावनाओं के अनेक द्वार खुल सकते हैं। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. डी. के. असवाल ने कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक गुफाएं साइंटिफिक प्रयोगशाला बनाई जा सकती हैं, जहां जंगलों में विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में रोजगार के द्वारा खुल सकते हैं। वहीं कई वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में घटते भूजल स्तर के लिए अनेक सामाधान कारक फार्मूले बताए।
15 से 20 हजार की नौकरी के पलायन पर जताई चिंता
वैज्ञानिकों ने कहा कि सरकार अगर उन्हें कार्य करने का अवसर दे तो उत्तराखंड में तकनीकी विकास से बेरोजगारी की समस्या का निदान किया जा सकता है। इस दौरान वैज्ञानिकों ने कहा कि आज भी लोग उत्तराखंड से 15 से 20 हजार की नौकरी के लिए महानगरों में पलायन कर रहे हैं जो चिंता का विषय है, इसे स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराकर हर हाल में रोका जाना चाहिए। इस बैठक में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. डी. के. असवाल, डॉ. एच.जे. पंत, डॉ. एल.एम. पंत, डॉ. वी. रावत, डॉ. मनीष जोशी, डॉ. एच. भट्ट, डॉ. पूजा, डॉ. सुधाकर थपलियाल, डॉ. वीरेंद्र सिंह, डॉ. ए. एस. डिमरी, डॉ. जे. एस. बोरा, डॉ. गोविंद सिंह कापड़ी, डॉ. भीम सिंह राठोर, श्रीमती श्रद्धा जोशी, पूजा नेगी, सुमित, डॉ. दिनेश जोशी, डॉ. ललित मोहन पंत, डॉ. विजय वेणुगोपाल आदि ने अपने विचार रखे।
इस दौरान सम्मेलन के समन्वयक श्री प्रहलाद अधिकारी, प्रवीण सिंह ठाकुर, डीआईजी रविन्द्र सिंह रौतेला, उत्तराखंड भवन के व्यवस्थापक चंद्रशेखर लिंगवाल, लखनऊ की मेयर श्रीमती सुषमा खर्कवाल, समाज सेवी गणेश दत्त जोशी, भूपेन्द्र चंद, मोहन सिंह सेजवार, बी. के. सावंत, कल्याण सिंह, गोविंद सिंह, उत्तराखंडी भाषा न्यास से सर्वश्री नीलांबर पांडेय, डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी, हीरा सिंह भाकुनी, चामू सिंह राणा, पृथ्वी सिंह केदारखंडी, सुल्तान सिंह तोमर, कौथिग के मुख्य संयोजन मनोज भट्ट, पत्रकार गोविंद आर्य, राजेश रमोला, मनोज सिंह दानू आदि ने भागीदारी की। इस सम्मेलन में उत्तराखंड का विकास कैसा हो उसका पर्यावरण, पर्यटन, जलवायु, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, हिमालयन क्षेत्र की जीवनदायिनी दवाइयों आदि पर चर्चा की गई। इस दौरान युवा उद्यमी व लोकगायक बी.के. सामंत ने अपनी कुछ प्रोजेक्ट्स पर बात रखी तथा अपने एक गीत का मुखड़ा सुनाया। इस दौरान नीरज बवाड़ी ने बिजनेस उत्तरायणी के 5 साल का कार्य वृतांत प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया।
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