-गोविंद आर्य
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव- 2024 (Kedarnath Assembly by-election- 2024) में प्रत्याशियों को लेकर चल रहा अटकलों का दौर रविवार शाम खत्म हो गया। कांग्रेस प्रत्याशी के ऐलान के बाद भाजपा ने भी अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया। कांग्रेस ने जहां पूर्व विधायक मनोज रावत (Manoj Rawat) को प्रत्याशी घोषित किया है, वहीं भाजपा ने देर रात पूर्व विधायक आशा नौटियाल (Asha Nautiyal) को मैदान में उतार दिया है।
उत्तराखंड के उपचुनाव में बद्रीनाथ और मंगलौर सीट पर कांग्रेस से मात खा चुकी भाजपा ने इस बार अपनी राजनीतिक परंपरा को बदल कर उपचुनाव के लिए प्रत्याशी का चयन किया है। इस विधानसभा क्षेत्र से कुलदीप रावत के अलावा भाजपा की परंपरा के मुताबिक स्वाभाविक दावेदार मानी जा रहीं दिवंगत विधायक शैला रानी रावत जी की पुत्री ऐश्वर्य रावत की दावेदारी खारिज कर भाजपा ने पूर्व विधायक आशा नौटियाल को मैदान में उतार कर पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं का विश्वास जीतने के साथ ही बगावत की आशंका के बीच जातीय समीकरण का बड़ा राजनीतिक दांव चला है।
बता दें कि पिछले दो उपचुनाव में मिली करारी हार के लिये पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करना भी जिम्मेदार माना गया था। यह मुद्दा पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने खुलकर पार्टी के समक्ष भी उठाया था। भाजपा ने यह जानते हुए भी कि कुलदीप रावत और ऐश्वर्य रावत अपनी प्रबल दावेदारी जता रहे हैं और ये दोनों किसी भी हद तक निर्णय ले सकते हैं, इसके बाद भी दोनों को पीछे छोड़कर आशा नौटियाल को टिकट थमाया है। भाजपा ने इस बहाने अपने पुराने कार्यकर्ता पर भरोसा जताने के साथ-साथ ही ब्राह्मण वोट को साधने की भी कोशिश की है। इसमें अब अगर कुलदीप रावत या ऐश्वर्य रावत निर्दलीय मैदान में उतरते भी हैं तो इसका नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ सकता है।
भाजपा को उलझाए रखने की रणनीति में सफल हुई कांग्रेस
दूसरी तरफ इस मामले में कांग्रेस की अंतिम समय तक भाजपा को उलझाए रखने की रणनीति सफल हुई है। केदारनाथ सीट पर पूर्व विधायक मनोज रावत की दावेदारी पहले से ही तय मानी जा रही थी, लेकिन इसका ऐलान करने में जानबूझ कर देरी कर कांग्रेस ने भाजपा को फंसा कर रख दिया। मनोज रावत की उम्मीदवारी इस लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है कि इस समय उत्तराखंड में भूक़ानून की पुरजोर मांग बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि केदारनाथ का उपचुनाव इस लिहाज से भी कुछ संदेश सरकार को दे सकता है। ऐसे में अपने पिछले कार्यकाल में ही प्राइवेट मेम्बर बिल लाकर भूक़ानून को लेकर आवाज बुलंद करने वाले मनोज रावत को क्षेत्र की जनता ही नहीं राज्य में भू कानून के पक्षधर भी उन्हें विधानसभा में देखना चाहते हैं। हालांकि अब भाजपा नेताओं की एकता और क्षेत्र में आशा नौटियाल जी और मनोज रावत जी के पिछले कामों के आधार पर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की जनता क्या निर्णय देगी, यह 23 नवम्बर को घोषित होने वाला चुनाव परिणाम ही बताएगा।