नवीमुम्बई. नवीमुम्बई में चल रहे प्रवासी उत्तराखण्डियों के कौथिग महाकुंभ में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा उत्तराखंड के जन जीवन से जुड़ी अन्य विधाओं को भी जीवंत करने के उपक्रम संचालित किये जा रहे हैं. उत्तराखंड की लोक संस्कृति से जुड़ी चित्रकला ऐपण को कौथिग मंच ने आयोजन का हिस्सा बनाया है.
कौथिग के तीसरे दिन रविवार को फ़िल्म निर्मात्री एवं समाजसेवी श्रीमती मीनाक्षी भट्ट के नेतृत्व में कौथिग मंच पर ऐपण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस प्रतियोगिता में सरस्वती कुकरेती, मुक्ता बोहरा, दीपा जोशी, पुष्पा सेमवाल, पुष्पा भट्ट, रेखा भट्ट, विदया नेगी, पूजा भट्ट, दीक्षा मखोलिया, ममता भट्ट, रुचि बिष्ट, शांति गोदियाल, दक्षेश सिंह, प्रकाश चंद, सुरेश काला आदि ने भाग लिया.
ऐपण प्रतियोगिता का निरीक्षकों द्वारा निरीक्षण कर तीन प्रतिभागियों की ऐपण प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार के लिए चुनी गईं. जिसमें प्रथम पुरस्कार पूजा भट्ट, द्वितीय पुरस्कार रेखा भट्ट, तृतीय पुरस्कार एडबोकेट रुचि बिष्ट ने हासिल किया. उल्लेखनीय है कि ऐपन उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र की लोक संस्कृति का हिस्सा रहा है.
यहां खुशी के अवसरों पर ऐपण बनाई जाती हैं. ऐपण ठीक उसी तरह की कला है जैसे महाराष्ट्र में तीज त्यौहार व खुशी के अवसर पर घर आंगन में रंगोली बनाई जाती है. दक्षिण भारत में भी पोंगल और अन्य शुभ अवसरों पर फूलों की कला कृतियाँ बनाये जाने की परंपरा है. लोक गायक सुरेश काला ने कहा कि उत्तराखंड की ऐपण की विशेषता यह है कि इसमें चित्र बनाये जाने के लिये चावल के आटे का प्रयोग किया जाता है. मुंबई में ऐपण उकेरने की संस्कृति की शुरुआत का श्रेय स्व. पूर्ण मनराल जर को जाता है और जब भी ऐपण की बात आती है प्रवासियों में स्व. पूर्ण मनराल जी की यादें ताजा हो जाती हैं.