जोशीमठ. कोरोना संकट, बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति भंग होने और देवस्थानम बोर्ड बनने के बाद भगवान को चढ़ाए जाने वाले भोग को लेकर संकट खड़ा हो गया है! सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना संकट और बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति भंग होने के बाद मठ मंदिरों की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, जिससे भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन गद्दीस्थल और बद्रीनाथ के मुख्य सहायक मंदिरों में भोग का संकट पैदा हो रहा है. कोरोना संकट के दौरान स्थानीय समिति भोग के लिए दाल चावल का प्रबंध कर रही है और इसी दाल चावल से भगवान का भोग तैयार किया जा रहा है. बता दें कि हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र भगवान बद्रीनाथ जी के शीतकालीन गद्दीस्थल में प्रतिदिन 33 किलो चावल और डेड किलो दाल का भोग बनता है.
लेकिन बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति भंग होंने और कोरोना संकट के कारण मठ मंदिरों में यह व्यवस्था चरमरा गई है. स्थानीय लोगों के अनुसार, भगवान को लगने वाले भोग पर भी कोरोना वायरस की मार पड़ गई है. उत्तराखंड चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है और 30 अप्रैल को भगवान बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तिथि है. सरकार ने पिछले महीनों में बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति को भंग कर देवस्थानम बोर्ड बनाने का ऐलान किया था, जिससे मंदिर समिति तो भंग हो गई, किंतु देवस्थानम बोर्ड अभी कार्यरूप में अस्तित्व ने नहीं आ पाया है. इन्हीं कारणों के चलते यह भगवान को लगने वाले भोग जैसी व्यवस्थाओं में अड़चनें आ रही हैं. इन दिनों देवस्थानम के अधीन आने वाले मंदिरों में भोग स्थानीय समितियां दे रही हैं.
इस बारे में बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चन्द्र उनियाल का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में न आने के चलते नृसिंह मंदिर में भी भोग की दिक्कतें आ गयी हैं, पिछले 6 दिनों से बद्रीनाथ के मुख्य सहयोगी मंदिर भगवान नृसिंह, भगवान वासुदेव और नव दुर्गा का भोग 6 दिनों से उधारी में चल रही है. पिछले 6 दिनों से जोशीमठ में नृसिंह मंदिर में स्थानीय समिति के माध्यम से भोग के लिए चावल और दाल दी जा रही है. प्रतिदिन भगवान नृसिंह, भगवान वासुदेव और नव दुर्गा माँ को 33 किलो चावल और डेढ़ किलो दाल का भोग लगता है.
स्थानीय समिति के लोगों का कहना है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन कोरोना की महामारी से निपटने की व्यवस्था में लगा है और ऐसे में हम भगवान को भोग के लिए कोई संकट खड़ा नहीं होने देंगे, जहां भी देवस्थानम बोर्ड द्वारा भोग की व्यवस्था सुचारू नहीं की जाती है हम वहां भोग की व्यवस्था सुचारू करने के लिए तत्पर हैं, लेकिन भगवान को भोग जरूर लगाया जाएगा.