रोज रात आठ बजे दो मिनट तक बजाएंगे थाली
रुद्रप्रयाग. जन अधिकार मंच ने बाहरी प्रदेशों और उत्तराखंड के अलग-अलग जनपदों में फंसे उत्तराखंड के लोगों की वापसी के लिए थाली बजाओ आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है. उत्तराखंड सरकार प्रवासी लोगों को वापस लाने के प्रति उदासीन है. सरकार को जगाने के लिए हमें थाली बजानी है. सरकार युवाओं को वापस नहीं लाती तब तक हर रोज शाम को आठ बजे थाली बजाकर विरोध दर्ज करना है. उत्तराखंड से बाहर फंसे लोगों के साथ ही गांव में रह रहे परिजन थाली बजाकर अपना विरोध दर्ज करें. प्रवासियों से अनुरोध है कि इस मुहिम को आगे बढ़ाएं. जो जहां है, वह वहीं से थाली बजाते हुए सरकार से वापसी की गुहार लगाएं.
जन अधिकार मंच, रुद्रप्रयाग के अध्यक्ष श्री मोहित डिमरी ने सोशल मीडिया के जरिये एक वीडियो में यह आहवान किया है. अधिकार मंच ने कहा है कि सभी फंसे हुए प्रवासी शाम को ठीक आठ बजे दो मिनट थाली बजाते हुए सरकार से वापसी की गुहार लगाएं. कहा गया है कि जितनी बड़ी संख्या में लोग इस अभियान से जुड़ेंगे, सरकार पर दबाव बनेगा.
थाली बजाओ आंदोलन क्यों जरूरी ?
हजारों की संख्या में प्रवासी लोग अपने गांव लौटना चाहते हैं. प्रवासियों के पास राशन और पैसे का संकट है. साथ ही गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र में फंसे प्रवासियों को कोरोना का खतरा भी है. उनकी जान खतरे में है लेकिन सरकार बेसुध है. सरकार को जगाना है, रोज थाली बजाना है. सभी फंसे हुए प्रवासी एकजुट होकर थाली बजाओ आंदोलन से जुड़कर सरकार के कान खोलें. साथ ही अपने गांवों में भी अपने परिजनों को इस आंदोलन से जोड़ने हुए हर रोज शाम को आठ बजे थाली बजाएं.
जन अधिकार मंच का सुझाव
सरकार प्रवासी उत्तराखंडियों को वापस लाकर क्वांरटीन कर सकती है. उनका रैपिड टेस्ट भी हो सकता है. रेड जोन से आने वालों को आइसोलेशन में क्वारंटीन तथा ग्रीन जोन वाले प्रवासियों को होम या सामुदायिक भवनों-स्कूलों या पंचायत भवनों में क्वारंटीन किया जा सकता है. जैसा कि अभी होता रहा है. सरकार जनपदवार फंसे हुए लोगों की सूची तैयार करे. ताकि फंसे हुए लोगों की संख्या का सही जानकारी मिल सके. जिन राज्यों में लोग फंसे हैं, वहां की सरकार से कॉर्डिनेट करते हुए बसों का प्रबंध किया जाय.