नवीमुंबई. लॉकडाउन के चलते मुंबई, पुणे व महाराष्ट्र के अन्य शहरों में रह रहे उत्तराखंडियों को बेवजह गांव जाने से बचना चाहिए. यह सलाह दी है नवीमुंबई में उत्तराखंड के युवा समाजसेवी श्री मनोज भट्ट जी ने. श्री मनोज भट्ट ने कहा कि जो लोग संकट में हैं और उनका यहां रहने खाने का कोई स्थाई इंतजाम नहीं है या गांव से किसी काम या रिश्तेदारी में आकर यहां वाकई में फंसे हैं, उनका जाना तो ठीक है, किंतु जो लोग सालों से मुंबई में हैं उन्हें अनावश्यक यात्रा से बचना चाहिए.
घायल कर्मभूमि को छोड़कर जाना कहां तक उचित ?
श्री मनोज भट्ट ने अपनी फेसबुक पोस्ट में मुंबईकरों से एक भावनात्मक अपील करते हुए लिखा है कि आपकी कर्मभूमि जब कोरोना के प्रकोप से घायल पड़ी हो तब आपका मुंबई व महाराष्ट्र की कर्मभूमि को छोड़कर जाना कहां तक उचित है? श्री मनोज भट्ट जी ने लिखा कि कल जब कोरोना वायरस चला जाएगा, तब फिर हजारों लाखों लोग मुंबई की तरफ दौड़ पड़ेंगे, तब फिर यह शहर आपका अपना शहर हो जाएगा! लेकिन आज के उनके ऐसे व्यवहार ने एक गांठ डाल दी है. एक टीस, एक कसक पैदा कर दी है! श्री मनोज भट्ट जी ने लिखा, बुरे वक्त में मुंबई को छोड़ने वाले क्या तब फिर वो मुंबई का दोहन करने यहां आ जा जाएंगे? तब फिर मुंबई उनके सपनों का शहर बन जाएगा! तब फिर ये मुंबई उनकी मुंबई हो जाएगी!
क्यों आज जब मेरी मुंबई को मेरी सबसे ज्यादा ज़रूरत है, तब मैं क्यों भाग जाना चाहता हूं, अपनी कर्मभूमि मुंबई को छोड़कर.
श्री मनोज भट्ट ने लिखा, आज मेरी मुंबई घायल है, आज मेरे मुंबई को इलाज की जरूरत है. आज मुंबई संक्रमित है, मुंबई मायूस है, लेकिन में आज भी मुंबई में हूं, मैं कल भी मुंबई में ही था और मैं कल भी मुंबई में ही रहूंगा. ये मेरा मुंबई है. मैं मेरे शहर को मरने नहीं दूंगा. मैं लड़ूंगा, मैं संघर्ष करूंगा, लेकिन मैं मुंबई को मरने नहीं दूंगा. मुंबई मेरा कर्म स्थान ही नहीं, मुंबई मेरा घर है. मुंबई मेरे लिए व्यापार का गढ़ नहीं, बल्कि मुंबई ही मेरा परिवार है. मुंबई मुंबईकरों की सांसों में धड़कता है, मैं यही रहूँगा, क्योंकि मैं मुंबईकर हूं.