कर्णप्रयाग. उत्तराखंड चारधाम यात्रा के प्रमुख धाम बद्रीनाथ के कपाट खुलने की रश्म शुरू हो गई हैं. भगवान बद्री विशाल के श्री विग्रह (मूर्ति) पर प्रतिदिन लगाया जाने वाले तिल के तेल का कलश (गाडू घड़ा) नरेन्द्र नगर राजदरबार से डिम्मर पहुंच गया है. करोना महामारी और सामाजिक दूरी के मानकों का पालन कर बहुत सादगी के साथ यह तेल कलश कल कर्णप्रयाग होते हुए बद्रीनाथ के पुजारी डिमरी समुदाय के मूल गांव डिम्मर पहुंचा. जहां इसे खाण्डू देवता के मंदिर में पूजन के बाद उसे लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित कर नित्य पूजन अर्चन किया जायेगा.
कलश यात्रा के द्वितीय चरण में गाडू घड़ा 12 मई को जोशीमठ नरसिंह मंदिर पहुंचेगा. जहां से अगले दिन 13 मई को गणेश पूजन के बाद आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी व धाम के मुख्य अर्चक रावल जी के साथ योगध्यान मंदिर पाण्डुकेश्वर पहुंचेगा. 14 मई को यह यात्रा बद्रीनाथ जी के उत्सव विग्रह उद्धव जी और कुबेर जी मूर्ति के साथ ब्रदीनाथ पहुंचेगी. 15 मई को सुबह ब्रह्ममुहूर्त पर 4:30 बजे भगवान बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे. 17 मई तक लाकडाउन है और उसके बाद कोरोना की स्थिति आदि के बाद मंदिर में आने वाले श्रधालुओं के लिए कुछ गाइडलाइन आने की संभावना है.