घनसाली. कोरोना संक्रमण के बीच लाकडाउन में कई उत्तराखंडी लोग महानगरों में फंसे हैं तो कई प्रवासी उत्तराखंड में भी फंसे हैं. मुंबई में अपनी स्थाई नौकरी और कारोबोर करने वाले कई ऐसे लोग हैं जा लाकडाउन से पहले अपने कुछ खास कार्यों के लिए गांव गए थे और लाकडाउन लगने के बाद वे वहीं फंस गए.
महानगरों से गांव जाने वालों की जद्दोजहद अभी जारी है और लाकडाउन का लंबा समय गांव जाने के इंतजार में ही बीत रहा है. दूसरी तरफ महानगरों से गांव में फंसे कई लोग अपने पुराने घरों की मरम्मत कर रहे हैं, कई लोग अपनी बंजर जमीनों को फिर से उपजाऊ बनाने के प्रयत्नों में जुटे हैं. लेकिन इस सबसे हटकर एक अनोखी सामाजिक पहल की है उत्तराखंड के अभिनेता ज्योति राठौर ने.
अभिनेता ज्योति राठौर अपनी माता जी की क्रियाविधि के लिए पूरे परिवार के साथ गांव गए थे और इस बीच लाकडाउन का ऐलान हो गया. श्री ज्योति राठौर जी ने लाकडाउन के समय का सही इस्तेमाल कर हिंदाव के हजारों युवाओं के लिए एक अनोखा तोहफा देने का संकल्प लिया है. वे लाकडाउन में ग्रीन जोन में मिली काम करने की छूट के बाद आजकल गांव में ही मथकुड़ी सैंण के निकट बीरा के सौड़ में खेल संकुल स्टेडियम का निर्माण करा रहे हैं.
श्री राठौर अपनी जन्मभूमि उत्तराखंड के लिए हमेशा कुछ नया करने व अपनी ओर से अर्पित करने के लिए जाने जाते हैं. बात फिर फिल्मों के माध्यम से उत्तराखंड की सेवा करने की हो या अन्य सामाजिक पहलों में सहभागिता की जनपद टिहरी गढ़वाल के लैणी-पंगरियाणा के मूल निवासी श्री राठौर इन दिनों लाकडाउन में लंबे समय से गांव में ही हैं और पूरे क्षेत्र के युवाओं के लिए खेल प्रांगण की भारी कमी के समाधान के लिए बीरा का सौड़ में में अपने माता पिता की स्मृति में अपने भाई श्री विक्रमसिंह राठौर के साथ स्टेडियम निर्माण कराने में जुटे हैं.
श्री राठौर ने बताया कि गांव में बड़ी संख्या में युवा गांव लौट रहे हैं और स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों में खेल प्रतिभा विकसित हो इसलिए वे यह स्टेडियम बनवा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां अभी खेल मैदान बनाया जाएगा और आगे चलकर यहां स्टेडियम में अन्य इंडोर खेलों के लिए भी पहल की जाएगी.
श्री राठौर ने कहा कि जो भी हमारे भाई-बंध कोरोना महामारी की वजह सी शहरों से अपने पैतृक गांवों को लौट रहे हैं उनका पहाड़ों में स्वागत है पर अपने परिवार, समाज देश व विश्व की सुरक्षा हेतु सरकार के दिशानिर्देशों का पालन जरूर करें , सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें , गांवों में जो अल्प सुविधाएं हैं. उनके तहत ही जो कोरेंटाईंन कराई जा रही है उसको सहर्ष स्वीकार करके अपने पहाड़ों में इस वैश्विक महामारी को फैलने से रोकने में सहायक बनें.