दिल्ली. आरक्षण की मांग और अधिकारों को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने आज एक बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में OBC छात्रों के लिए मेडिकल कॉलेज में सीटें आरक्षित नहीं करने को मौलिक अधिकार का उल्लंघन मानने वाली याचिका पर कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है. कोर्ट ने साथ ही इस याचिका को भी सुनने से इन्कार कर दिया.
तमिलनाडु के राजनीतिक दलों डीएमके, एआईडीएमके, सीपीएम, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में NEET के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर तमिलनाडु में 50 फीसदी OBC आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कहा कि इस मामले में किसका मौलिक अधिकार छीना गया है ? जस्टिस राव की बेंच ने कहा कि आरक्षण का अधिकार कोई मौलिक अधिकार नहीं है. आज यही कानून है. जस्टिस राव ने कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है. सभी यचिकाएं सुप्रीम कोर्ट से वापस ली जाएं. आप हाईकोर्ट जा सकते हैं.