मुंबई. श्वेता माशीवाल ने मुंबई में फंसे उत्तराखंडियों के लिए फिर आवाज उठाई है. वात्सल्य संगठन की प्रमुख और प्रवासी सहयोगी टीम की सदस्य श्वेता माशीवाल ने उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि सरकार प्रवासियों के मुद्दे पर बिल्कुल गंभीर नहीं है. श्वेता माशीवाल ने कहा कि जब देश की सर्वोच्च अदालत ने भी फंसे मजूदरों की घर वापसी के लिए सरकारों को निर्देशित किया हुआ है बावजूद उत्तराखंड सरकार की फंसे सभी प्रवासियों को घर बुलाने की इच्छाशक्ति नहीं है.
कई मामलों में उत्तराखंड के अधिकारी महाराष्ट्र सरकार के पत्रों का जवाब ही नहीं दे रहे हैं. श्वेता माशीवाल ने कहा कि उत्तराखंड सरकार अब यह कह रही है कि मुंबई में श्रमिक हैं ही नहीं, जबकि मुंबई के थाणे व नवीमुंबई में ही अभी भी 1500 से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं, जिनके पास काम धंधा बंद होने के कारण गांव जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. श्वेता माशीवाल ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने खाली खानापूर्ति के लिए आधिकारियों के नंबर जारी किए हुए हैं, जबकि कुछ एकआध को अपवाद स्वरूप छोड़ दें तो उन नंबरों पर कोई के अधिकारी रिस्पोंस ही नहीं करता है.
बात तक नहीं कर सकते तो अपने पदों से इस्तीफा दें
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भले कोई भी नेता हो या अधिकारी वे कम से कम लोगों के फोन और संवाद तो करते हैं. श्वेता माशीवाल ने कहा कि अगर उत्तराखंड की सरकार के नेता और अधिकारी लोगों से बात तक नहीं कर सकते तो उन्हें अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए. माशीवाल ने कहा कि जो सरकार अपने हजारों लोगों को वापस नहीं बुला पाई उसी सरकार के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी सोनू सूद के द्वारा कुछ लोगों को ले जाने पर ट्वीट करते हैं. क्या बाकी लोगों को ले जाना सरकार की जवाबदेही नहीं थी? यह सरकार की नाकामी नहीं तो और क्या है.
गरीब मूल निवासियों की संवेदना को महसूस करें
श्वेता माशीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से निवेदन किया है कि उत्तराखंड के गरीब मूल निवासियों की संवेदना को महसूस करें और यह आपकी नैतिक जिम्मेदारी है कि आप मुखिया होने के नाते अपना फर्ज निभाएं. श्वेता माशीवाल ने कहा कि या तो सरकार ऐलान कर दे कि उत्तराखंड का सिस्टम कोलेब्स हो चुका है और हम कुछ नहीं कर सकते. श्वेता ने राज्य के सांसदों, नेता, विधायकों को भी कहा कि जब मुंबई में कोई उत्सव होते हैं तब तो आप दौड़े चले आते हैं और आज जब वहीं उत्तराखंड के आपके संसदीय क्षेत्रों के लोग संकट में हैं तो आपकी संवेदना क्यों जागृत नहीं हो रही.
Dushyant MainaliMohan JoshiPradeep Singh RawatNavin Chandra BhattKundan Gariaसुधाकर थपलियाल
Posted by Shveta Mashiwal on Saturday, June 13, 2020
विधायकों, सांसदों से भी किया सवाल
वात्सल्य संगठन की प्रमुख ने मुख्यमंत्री, विधायकों, सांसदों से भी सवाल किया कि आखिर आप अपनी जनता को क्यों भूले हुए हैं और कहा कि जब आप चुनाओं के वक्त इतना पैसा लगाते हैं, तब आज आपको क्यों नहीं अपनी गरीब जनता की याद आ रही. श्वेता माशीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री जी जबाव दें कि क्या उत्तराखंड की व्यवस्था खत्म हो गई है.
हमारी लड़ाई सरकार की जवाब देही पर : सुधाकर थपलियाल
उत्तराखंड के फंसे प्रवासियों के लिए महीनों से प्रयासरत प्रवासी सहयोगी टीम के सदस्य, ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश इकाई के कार्यकारिणी सदस्य, युवा नेता सुधाकर थपलियाल ने कहा कि एक तो बेरोजगारी ऊपर से कर्ज मदद के लोग गांव जाने को मजबूर हैं. उत्तराखण्ड राज्य सरकार इनकी सुध लेना भी उचित नहीं समझ रही.
आज भी करीब ढाई -तीन हजार लोग यहां फंसे हुए हैं. अधिकतर ऐसे लोग हैं जिनके पास घर जाने के लिए पैसे नहीं है. विगत 26 मई से आज अभी तक लगातार उत्तराखण्ड सरकार से बातचीत कर रहे हैं. परंतु शासन प्रशासन सकारात्मक जबाव नहीं दे रहा है. हमारी लड़ाई सरकार की जवाबदेही पर है. देश की सभी राज्यों की सरकारों ने अपने राज्य के सभी लोगों के लिए श्रमिक ट्रेन की व्यवस्था की , लेकिन आपने दो तीन ट्रेन की खानापूर्ति के बाद अपने गृह राज्य के सभी लोगों के लिए क्यों नहीं कोशिश की. सरकार से अनुरोध है कि जो लोग अभी भी फंसे हैं उनकी सुध ले.