घनसाली। उत्तराखंड में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी आम आदमी पार्टी की दाल पहाड़ में नहीं गल पा रही है।
जहां अन्य पार्टियों के दावेदारों ने 2022 के चुनाव के लिये जनसम्पर्क तेज कर दिया है, वहीं आम आदमी पार्टी 70 विधानसभा क्षेत्रों में 70 उम्मीदवार भी नहीं ढूंढ पाई है।
अब हालत यह है कि आम आदमी पार्टी सिर्फ खानापूर्ति के लिये क्षेत्र में कोई खास पहचान नहीं रखने वाले लोगों को शामिल करने लगी है।
आम आदमी पार्टी प्रचार प्रसार में मैदानी क्षेत्रों में भले कहीं नजर आ रही हो, लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में यहां की जनता और यहां के स्थापित नेता आप को पसंद नहीं कर रहे हैं।
पहाड़ की जनता और नेताओं द्वारा दिल्ली की इस पार्टी को नकारे जाने से पहाड़ी क्षेत्रों में आप के पार्टी विस्तार की तमाम कोशिशें परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। ताजा वाकया घनसाली विधानसभा का है, जिसमे आम आदमी पार्टी को घनसाली के लगभग स्थापित एक दर्जन नेताओं ने ठुकरा दिया। या यूं कहें किसी भी नेता ने आम आदमी का चेहरा बनने को स्वीकार नहीं किया।
अब घनसाली में पार्टी ने थक हार कर नाम मात्र के लिये दिनेश भजनियाल को शामिल कर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े नेताओं द्वारा आम आदमी पार्टी को नकारे जाने का संकेत दे दिया है। प्रधान संगठन के अध्यक्ष दिनेश भजनियाल को जरूर एक प्लेटफार्म मिल गया हो, लेकिन पार्टी की पहाड़ चढ़ने की उम्मीद धराशायी हो गई है।
बतादें की घनसाली में श्री दिनेश भजनियाल अभी तक विधानसभा चुनाव प्रत्याशी की दौड़ में कहीं भी क्षेत्र में नहीं दिखे हैं।
घनसाली क्षेत्र से विधानसभा चुनाव की सक्रिय राजनीति में जो प्रमुख दलित चेहरे जनता के बीच जाने जाते हैं उनमें विधायक शक्तिलाल शाह, पूर्व विधायक भीमलाल आर्य, धनीलाल शाह, दर्शनलाल आर्य, दिनेशलाल, शूरवीर लाल, सन्दीप आर्य, कमल दास, सिमनलाल आर्य, पिंगलदास, प्रेमलाल त्रिकोटिया ही रहे हैं। जो भाजपा, कांग्रेस, उक्रांद के समर्पित सिपाही के रूप में अपने अपने दलों में डटे हुए हैं।
दूसरी तरफ कह सकते हैं कि भाजपा, कांग्रेस, उक्रांद के अलावा इन अन्य सक्रिय चेहरों ने घनसाली में आम आदमी का चेहरा न बनकर पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।