ऋषिकेश. कोरोना वैश्विक महामारी के संकट में जब साहित्य के मंचों पर कार्यक्रम के आयोजन लगभग रुक गए थे, ऐसे समय पर उत्तराखंड राज्य की प्रमुख साहित्यिक संस्था आवाज ने 22 जून 2020 से साहित्य संवर्धन एवं रक्षण हेतु ऑन लाइन लाइव प्रसारण सेवा अविरल रूप से प्रसारित की है।
डॉ. सुनील दत्त थपलियाल जी के कुशल संचालन में उत्तराखंड देव भूमि के प्रवेश द्वार ऋषिकेश से ऑनलाइन लाइव प्रसारण में साहित्य, संस्कृति, संवाद की तीन धाराओं को लेकर चलने वाली आवाज ने साहित्य में संपूर्ण भारत वर्ष से साहित्यकारों को आमंत्रित कर दर्शकों से रू ब रू कराया. चर्चाओं में उत्तराखंडी संस्कृति के संवाहक गीतकारों, गायकों, कलाकारों, चित्रकारों, शिल्पकारों, वाद्य यंत्रों के विशेषज्ञों के साथ विभिन्न सम सामयिक विषयों पर उस विधा के जानकारों को संवाद लिए आमंत्रित कर एक जनचेतना का कार्य किया।
राज्य से जुड़े मसलों पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि पर हुआ चिंतन मंथन
आवाज साहित्यिक संस्था ने राज्य से जुड़े मसलों पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, चिकत्सा, कोरोना संकट, वैक्सीन, धर्मशास्त्रों, धार्मिक पलायन, पर्यावरण, पर्यटन, नदियों, जैव विविधता आदि विषयों पर विशेष प्रतिभाओं के साथ गंभीर चिंतन मनन किया।
डॉ. सुनील दत्त थपलियाल जी की मधुर वाणी में हर चर्चा का हर एपिसोड नई ऊर्जा के साथ संचालित होते हुए उत्तराखंड देव भूमि के हिमालय से गंगा सागर तक से जुड़े अनेक उपयोगी विषयों के साथ अपने 330 एपिसोड पूरे कर चुका है।
आवाज संस्था ने समाज के अंदर समर्पित रूप से काम करने वाले अनेक प्रतिभाओं को मंच पर अग्रसारित कर संपूर्ण समाज में उनके कार्यों के विषय में बताया, जिससे अनेक लोग प्रेरणा लेकर इस वैश्विक महामारी में अपने अपने सेवा कार्य में जुटे रहे।
20 वर्षों से साहित्य के लिए समर्पित है आवाज साहित्यिक संस्था
जहां कोरोना की महामारी में चाहरदीवारी में कैद होने को मजबूर थे उस दौर में आवाज संस्था ने सुदूरवर्ती कंदराओं में बैठी हुई प्रतिभाओं को मंच देकर उनकी प्रतिभा के साथ उनके आत्मविश्वास में वृद्धि की है. अनेक बाल कलाकारों, गीत कारों को गायकों को मंच एवं प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाया है. 20 वर्षों से साहित्य के लिए समर्पित आवाज साहित्यिक संस्था ने वैश्विक महामारी के समय एक विशेष साहित्य संवर्धन की अनोखी पहल की है, जिसकी संपूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ विश्व के देशों में रह रहे उत्तराखंडी लोगों ने मुक्त कंठ से संस्कृति संवर्धन की प्रशंसा की गई है।
पर्यावरण रक्षण, करोना काल में लोगों की सेवा की दी गई प्रेरणा
चारों तरफ भय के वातावरण के बीच संस्था के फेसबुक पेज पर चले इस अविरल चर्चा सत्र में जहां सीधे संवाद के लिए विभिन्न प्रतिभाएं जुड़ीं, वहीं दर्शकों में भी विशेष उत्साह देखा गया. लगभग 95000 दर्शकों के साथ आवाज़ की आवाज जन जन तक पहुंचने का अपना मिशन पूरा कर रही है. संस्था की चर्चाओं के माध्यम से एक दूसरे की सेवा सहयोग देने की बात की है, जैसे पर्यावरण रक्षण, करोना काल के समय लोगों की सहायता, भोजन व्यवस्था, रक्तदान, घर घर राशन वितरण, एक दूसरे की मदद करने में विभिन्न राज्यों के अंदर उत्तराखंडी लोगों की मदद करने की प्रेरणा दी गई है.
आवाज साहित्यिक संस्था के कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर सुनील थपलियाल ने कहा कि ये एपिसोड विषम परिस्थितियों के बावजूद भी अनवरत चलता रहा, कभी-कभी कोई विषम परिस्थिति आने के बाद ही रोका गया, वरना कार्यक्रम लगातार चलता रहा है. डॉक्टर सुनील थपलियाल ने कहा कि जिस दिन यदि कार्यक्रम नहीं चलता था तो दर्शक दूरभाष के माध्यम से कार्यक्रम के विषय में पूछते थे, इससे लगता था कि लोग इस कार्यक्रम को अपने हृदय से पसंद करते हैं. उन्होंने आवाज साहित्यिक संस्था की संपूर्ण टीम को धन्यवाद देते हुए कि संस्था लगातार इसके लिए नए नए आयाम को ढूंढते हुए आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है, स्वयं संस्था के सदस्य अपने इस विशेष पहल से उत्साहित हैं।
जब तक संभव हो सकेगा, जारी रहेगा प्रयास : अशोक क्रेजी
आवाज के अध्यक्ष अशोक क्रेजी ने बताया कि संस्था के द्वारा यह अतुलनीय प्रयास जब तक संभव हो सकेगा, साहित्य संवर्धन संस्कृति रक्षण और संवाद जैसे विषयों पर चिंतन और मनन के लिए निरंतर बनाए रखेंगे। आवाज के प्रमुख सदस्यों में अशोक क्रेजी अध्यक्ष, आचार्य रामकृष्ण पोखरियाल उपाध्यक्ष, प्रबोध उनियाल कनिष्ठ उपाध्यक्ष, धनेश कोठारी सचिव, महेश चिटकारिया सदस्य, सत्येंद्र चौहान कोषाध्यक्ष, नरेंद्र रयाल सदस्य, मनोज मलासी, रमेश उनियाल, धनीराम बिंजॉला, रविशास्त्री, शिवप्रसाद बहुगुणा, आलम मुसाफिर, अरुणा वशिष्ठ, जनार्दन प्रसाद उनियाल, अनीता भट्ट, स्नेह लता ध्यानी, पुष्पा उनियाल, दिनेश प्रसाद सेमल्टी, हेमवंती नंदन भट्ट सदस्य, इसके साथ ही प्रमुख समाजसेवी चंद्रवीर पोखरियाल संरक्षक, जनकवि डॉ. अतुल शर्मा संरक्षक मार्गदर्शक, रमा बल्लभ भट्ट सलाहकार एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. सुनील दत्त थपलियाल मुख्य रूप से हैं।
संस्था के द्वारा इन 20 वर्षों में साहित्य की अतुलनीय सेवा की गई। सैकड़ों सामूहिक संकलनों को संकलित करते हुए नए रचनाकारों को मंच प्रदान किया है।संस्था के अनेक संकलन आज वाचनालयों, पुस्तकालयों एवं घरों में पाठकों की पसंद बनी हुई हैं।
-वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य रामकृष्ण, संस्था के उपाध्यक्ष