कोटद्वार. कोरोना वायरस को परास्त करने की देशव्यापी लड़ाई में दिन रात जुटे माननीय प्रधानमंत्री जी देश की व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के साथ ही आम आदमी से भी संपर्क में जुटे हैं. इसी कड़ी में जब उत्तराखंड के एता गांव के निवासी से भी प्रधानमंत्री मोदी जी ने फोन पर बात की है. साठ के दशक से संघ से जुड़े मोहनलाल बौंठियाल जी के फोन पर रोज की तरह फोन आने की घंटी बजी तो सामान्य तौर पर बौंठियाल जी ने हां बोलिए कहा तो सामने से आवाज आई हम PMO से बोल रहे हैं, प्रणानमंत्री जी आप से बात करना चाह रहे हैं, एक पल के लिए मोहनलाल बौंठियाल जी सहम गए पर बौंठियाल जी भी पुराने संघी होने के नाते बोले जी हां, बात कराए.
सुबह 8 बजकर 26 मिनट पर जब मोहनलाल बौंठियाल जी अपने गाँव एता में गेंहू के खेतों की तरफ घूमने गए थे, तभी ये फोन आया. पीएम मोदी ने उनसे पूछा कि क्या मोहन जी बोल रहे हैं. बौंठियाल जी ने सादर अभिवादन किया और फिर लगभग 3 मिनट प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से बात हुई. प्रधानमंत्री ने बातचीत में कहा कि आज कई जनसंघ से जुड़े अपने पुराने लोगों से बात की है, इसी क्रम में आप से भी बात करने का मन हुआ. कहा ये समय संकट का है इसलिए वे सभी से बात कर रहे हैं. बौंठियाल जी ने प्रधानमंत्री जी को बीते दशकों में बद्रीनाथ व श्रीनगर गढ़वाल में हुई मुलाकातों का हवाला दिया और कहा कि यह संकट जल्द खत्म हो जाएगा, आप के नेतृत्व में भारत इस मुसीबत को हरा लेगा.
कौथिग फाउंडेशन मुंबई के कार्यकारी अध्यक्ष सुशील कुमार जोशी जी ने बताया कि मोहनलाल बौठियाल जी उत्तराखण्ड में बीजेपी ये संस्थापकों में से एक रहे हैं. सन 58 में वे बाल स्वयं सेवक के तौर पर संघ से जुड़ गए थे 60 में वे जनसंघ से जुड़े ओर फिर 70 में जनता पार्टी में फिर 80 में bjp के सदस्य बने और तब से आज तक जुड़े हैं.
उत्तराखण्ड में बीजेपी को एक पार्टी के तौर पर खड़ा करने के लिए सालों साल कठिन परिश्रम किया वे राज्य बनने के बाद पार्टी के कई बारिष्ठ पद पर रहे पंचायत प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे वही कई बार गढ़वाल लोकसभा के प्रभारी व पालक रहे है 2014 से 20 तक राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे.
बीजेपी सरकार के समय वन निगम व जलागम प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रहे वही विद्या भारती रामजन्मभूमि आंदोलन व राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका रही है कई बार जेल भी गए है आपातकाल में भी भूमिगत आंदोलन में सक्रिय रहे राज्य बनने से पहले पर्वतीय विकास परिषद के सदस्य भी रहे. जब प्रदेश में पार्टी पुराने लोगो को भूल रही ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा अपने पुराने लोगो को याद किया जाना उन लोगों के लिए भी संदेश है जो आज पार्टी की चकाचौंध देख रहे, लेकिन उस त्याग समर्पण को मेहनत को नहीं देख रहे है जिसकी बदौलत आज पार्टी इस मुकाम पर पहुँची है.