उत्तराखंड में इन दिनों UKSSSC भर्ती घोटाले, विधानसभा में सगे-संबंधियों को नौकरी देने के मुद्दे पर माहौल गरम है. राज्य निर्माण के बाद से ही सरकारी नौकरियों व राज्य के संसाधनों के बंदरबांट की जो बातें लोगों के जेहन में अंदरखाने थी, वह इन घोटालों ने खुलकर सामने ला दी हैं. सन 2000 में राज्य निर्माण के बाद बारी-बारी से राज्य में भाजपा और कांग्रेस की सरकारें रही हैं और इस दौरान राज्य में विकास के नाम पर दोनों पार्टियों ने अपनों के विकास पर ही ज्यादा ध्यान दिया है, जिसकी पोल हाल के भर्ती घोटालों ने खोल कर रख दी है. 22 सालों में ‘भ्रष्टाचार के हाकमों’ ने राज्य की बुनियाद इस कदर खोखली कर दी कि अब उत्तराखंड के आम लोगों का भर्ती परीक्षाओं को कराने वाले सरकारी सिस्टम से विश्वास उठ गया है.
22 वर्षों में राज्य को एक दर्जन मुख्यमंत्री देने वाले उत्तराखंड में यह पहली बार हुआ जब 2022 के चुनाव में त्रिवेंद्र-तीरथ रावत को हटाकर मुख्यमंत्री बनाए गए धामी के नेतृत्व में रूलिंग पार्टी ने सत्ता में वापसी करने का रिकार्ड बनाया. दूसरी बार धामी के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में लौटी, लेकिन चुनाव में धामी की हार ने धामी के सत्ता के जश्न को फीका कर दिया. लेकिन भाजपा के केंद्रीय आलाकमान ने अप्रत्याशित निर्णय लेकर धामी को हारने के बावजूद भी सूबे के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी.
धामी के पहले 6 महीने पुन: निर्वाचित होने के इसी फेर में चले गए. ऐसे में अब धामी निर्वाचित होने के साथ फील्ड में बैटिंग करने उतरे हैं, तो भर्ती घोटालों ने उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए कृत्यों का भांडा फोड़ दिया है. उत्तराखंड के ऐसे जनप्रतिनिधियों और घोटालेबाज लोगों द्वारा पहाड़ के युवाओं के हकों पर किए गए इस कुठाराघात से राज्य की जनता गहरे सदमे में है और युवा ठगा सा महसूस कर रहा है. “हां हमने किया”, जैसी जनप्रतिनिधियों की बेखौफ बयानबाजी लोगों के जख्मों पर नमक रगड़ रही है. ऐसे में सरकार और जनप्रतिनिधियों से उठे जनता के विश्वास को बरकरार रखने की चुनौती मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की है.
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उत्तराखंड में हाल के (UKSSSC Recruitment Scams) भर्ती घोटालों में अब तक 30 के लगभग गिरफ्तारियां उत्तराखंड पुलिस एसटीएफ कर चुकी है. यह धामी व पुलिस विभाग की शुरुआती इच्छाशक्ति तो दर्शाता है, लेकिन घोटाले की जड़ों को पहाड़ से मिटाने व बड़ी मछलियों को पकड़ने के लिए मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग लगातार उठ रही है जिस पर सभी राज्यवासियों की निगाहें मुख्यमंत्री की ओर लगी हुई हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) को जहां उत्तराखंड के लोगों के सरकारी सिस्टम पर खंडित हो चुके विश्वास को लौटाना है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस भरोसे को भी कायम रखना है, जिसमें हार के बावजूद प्रधानमंत्री व पार्टी ने धामी को राज्य की कमान सौंप दी. धामी को केंद्रीय नेतृत्व खासकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Shri Narendra Modi) जी के इस अपार विश्वास की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती है, जिसमें राज्य की जनता ने मोदी के चेहरे पर वोट देकर भाजपा को सत्ता सौंपी है. ऐसे में धामी के पास अवसर है कि वे भर्ती घोटालों की जांच सीबीआई को सौंप कर राज्य के संसाधनों और नौकरियों पर हक जमाए हाकमों को बेनकाब कर राज्यवासियों को निजात दिलाएं.
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