टिहरी। कोरोनाकाल में सरकार चिकित्सकों की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती। हालिया परिस्थिति में उनके आंदोलन पर जाने से आम लोगों की भी मुश्किलें बढ़ेंगी। ऐसे में खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस ओर पहल की है। उन्होंने अधिकारियों से निर्देश दिए हैं कि चिकित्सकों से वार्ता कर उनकी समस्याओं का जल्द समाधान किया जाए।
इसी क्रम में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने सोमवार को प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की। पर मांगों पर अभी सहमति अभी नहीं बन पाई है। अब गुरुवार को संघ पदाधिकारियों की सचिव अमित नेगी से मुलाकात होगी। इस बीच चिकित्सक आंदोलन के अपने फैसले पर अडिग हैं। वह आज से काली पïट्टी बांधकर काम करेंगे।
हर माह एक दिन का वेतन काटे जाने का विरोध
प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ की पांच मांगें हैं। संगठन ने सरकार के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें हर माह एक दिन का वेतन काटा जा रहा है। दूसरी मांग मुख्यमंत्री की घोषणा को लेकर है। जिसमें पीजी करने वाले डॉक्टर को पूरी तनख्वाह देने की बात सीएम ने कही थी। लेकिन इसका आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है।
इसके अलावा जिलाधिकारी द्वारा तहसीलदार, पटवारी आदि को अस्पतालों के निरीक्षण के लिए नामित करने और बढ़ते प्रशासनिक हस्तक्षेप का भी उन्होंने विरोध किया है। जसपुर में कंटेनमेंट जोन को लेकर प्रभारी चिकित्साधिकारी से की गई अभद्रता पर जसपुर विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी उन्होंने की है। साथ ही हर विभागीय/प्रशासनिक जांच में अस्पताल में हुई मौत का ठीकरा चिकित्सक के सिर फोड़े जाने को भी गलत बताया है।
- संगठन का कहना है कि ऐसे सभी मामलों में वजह संसाधनों का अभाव होता है। चिकित्सक को जिम्मेदारी ठहराने की परिपाटी बंद होनी चाहिए।
- चिकित्सकों ने इन्हीं मुद्दों पर एक से सात सितम्बर तक काली पट्टी बांधकर काम और आठ सितम्बर को सामूहिक त्यागपत्र देने का एलान किया है।
- स्वास्थ्य महानिदेशालय से वार्ता में प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. नरेश नपलच्याल, प्रांतीय महासचिव डॉ. मनोज वर्मा, डॉ. प्रताप सिंह रावत, डॉ. पंकज शर्मा, डॉ. प्रवीण पंवार, डॉ. आनंद शुक्ला, डॉ. गरिमा आदि उपस्थित रहे।