घोंटी. उत्तराखंड में बरसात के आगमन के साथ ही खेतों में धान की रोपाई शुरू हो गई है. इस बार रोपणी का रंग और उत्साह कुछ अलग ही है. कोरोना के बाद बड़ी संख्या में पहाड़ के युवक गांव लौटे हैं. ये युवा भी खेती के प्रति एक बार पुन: दिलचस्पी लेकर अनाज उगाने, खेती को रोजगार का जरिया बनाने की पुरजोर कोशिश में हैं. आज की यह तस्वीरें युवा साथी श्री प्रवीण बडोनी जी, घोंटी, टिहरी गढ़वाल ने भेजी हैं.
बडोनी जी उत्तराखंड से रोजगार के आभाव में मुंबई के रास्ते आम उत्तराखंडी युवा की तरह विदेश जाने के लिए आए थे. वीजा और सारी कागजी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सात समंदर पार के लिए उड़ान भरने ही वाले थे कि तब तक कोराेना के कहर का ब्रेक लग गया. कई दिनों तक श्री बडोनी जी लाकडाउन का पालन करते हुए मुंबई में ही रहे. फिर उत्तराखंड सरकार द्वारा लगी श्रमिक ट्रेन से गांव पहुंचे हैं.
14 दिन ऋषिकेश के क्वारंटीन रहने के बाद फिर अपने गांव में भी क्वारंटीन रहकर सरकार के निर्देशों का पालन किया और अब यह सभी दौर गुजारने के बाद अपनी पारंपरिक खेती को उपजाऊ बनाने जुट गए हैं. श्री प्रवीण बडोनी बताते हैं कि घाेंटी की खेती काफी उपजाऊ है. लेकिन यहां लोगों ने खेती पहले कुछ दूसरे लोगों को चलाने के लिए दे रखी थी. यहां तक की बड़ी संख्या में गोरखा लोग भी इस खेती से लाखों की कमाई कर पैसा कमा रहे थे, परंतु अब कोरोना के बाद लोगों के गांव लौटने से स्थिति बदल गई है, जो खेती गोरखों को चलाने के लिए दी गई थी वही खेती अब लाेग उनसे वापस ले चुके हैं, यहां तक कि खेती पर खुद काम करने के लिए लोगों ने गोरखा नेपालियों से जल्द वापस सौंपने को कहा और गोरखों ने ओने पौने दामों में उस खेती की साग सब्जी की नीलामी कर भूमि के मालिकों को जमीन खाली कर सौंप दी है. लोग अपनी खेती पर अब खुद साग सब्जी के बीज, धान की रोपाई कर पुन: खेतीबाड़ी की ओर जुट गए हैं.
आज की तस्वीरें श्री प्रवीण बडोनी जी, घोंटी, टिहरी गढ़वाल
- ukkhabar.com उत्तराखंड से जुड़ी तस्वीरें आमंत्रित कर रहा है.
- यह तस्वीरें आपके अपने मोबाइल से ली गई हों.
- कोई भी तस्वीर, पहाड़ी खानपान, गाड गदेरे, पहाड़ की फसलें, अनाज, रोपण
- किसी भी उत्तराखंडी जन सरोकार से जुड़ी हों. इनमें से कुछ चुनिंदा तस्वीरें फोटो गैलरी में दी जाएंगी
- भेजने का पता
ukkhabarhindi@gmail.com
या व्हटसेप नंबर 7400051893 पर भेजें