मुंबई. महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगतसिंह कोश्यारी (Governor of Maharashtra Shri Bhagat Singh Koshyari) जी ने गुरुवार शाम को शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को महाराष्ट्र के 31वें मुख्यमंत्री (Chief Minister of Maharashtra) के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इसी के साथ महाराष्ट्र में पिछले दिनों से चले आ रहे राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप हो गया.
देर शाम बदले महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम में राज्यपाल श्री भगतसिंह कोश्यारी जी ने राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में देवेंद्र फडनवीस को उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई. इससे पहले फडनवीस ने प्रेस कांफ्रेंस कर एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनाने के निर्णय का ऐलान किया था और खुद को सरकार से बाहर रहकर सहयोग की बात कही थी, लेकिन शपथ ग्रहण के ऐन मौके पर दो बार के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडनवीस (Devendra Fadnavis) को उपमुख्यमंत्री (deputy chief minister) के रूप में सरकार में शामिल होने का केंद्रीय नेतृत्व ने आदेश दिया और फडनवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप शपथ ली.
महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम में यह बात लगभग तय मानी जा रही थी कि देवेंद्र फडनवीस ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने सभी रजनीतिक पंडितों को चौंका दिया. इस नए ट्विस्ट से महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ आ गया. केंद्रीय नेतृत्व के इस चौंकाने वाले फैसले से उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) भी शपथ के दौरान असहज दिखे.
बताया यह जा रहा है कि फडणवीस नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें फोन कर नई सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के निर्देश दिए. वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने भी फोन कर फडणवीस को उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करने को कहा. जिसके बाद फडणवीस ने एकनाथ शिंदे के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. भाजपा के पास निर्दलीय समेत 120 विधायकों के समर्थन के बावजूद 50 विधायकों के समर्थन वाले गुट शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनाने के फैसले को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
इसे एक तरफ भाजपा द्वारा 2024 की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है, तो वहीं भाजपा पर सरकार बनाने के लिए ऐन केन प्रकारेण के हथकंडे अपनाने की छवि से उभरने के रूप में भी देखा जा रहा है. बता दें कि 2019 में मुख्यमंत्री के पद को लेकर ही भाजपा और शिवसेना के एकसाथ चुनाव लड़ने के बावजूद गठबंधन टूट गया था. तब भाजपा विधायकों की संख्याबल के हिसाब से मुख्यमंत्री का पद शिवसेना को देने पर राजी नहीं हुई थी.
ऐसे में अब ढाई साल के बचे कार्यकाल में बदले राजनीतिक हालातों में भाजपा ने बड़ा दांव खेलकर हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर आघाड़ी सरकार से बागी गुट के नेता को सरकार की कमान सौंप दी. इसके लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भजपा के शीर्ष नेतृत्व का आभार जताया है.