देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत जी ने 1 सितंबर को रिक्त पदों को न भरने के खिलाफ उपवास का ऐलान किया है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत जी ने कहा कि उत्तराखंड में बेरोजगार नौजवानों की उपेक्षा, सरकारी सेवाओं में रिक्त पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया प्रारंभ न करने और आध्याचित पदों को किसी न किसी बहाने लटकाये जाने की बात आम हो गई है।
उन्होंने कहा कि लगभग तीन सवा तीन साल से नौजवानों के साथ एक क्रूर मजाक चल रहा है। हमने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और दो भर्ती बोर्ड गठित किये, ताकि रिक्त पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया तेज हो और राज्य के पब्लिक सर्विस कमीशन के ऊपर बोझ को बहुत सीमा तक, बड़ी सीमा तक हमने समाप्त कर दिया। लेकिन न आज पब्लिक सर्विस कमीशन भर्तियां कर रहा है, न अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्तियां कर रहा है, न भर्ती बोर्ड अपना काम कर रहे हैं, आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है!
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नये अवसर सृजित करना राज्य सरकार का कर्तव्य है, यहां जो स्वाभाविक रूप से रिक्त पद थे, उन्हें मृत घोषित किया जा रहा है और यह प्रक्रिया सत्ता में आने के 1 साल बाद से वर्तमान सरकार ने प्रारंभ कर दी थी।
श्री हरीश रावत ने कहा कि हमारे कमाऊ पूत जो गांव लौट कर के आये हैं, उनके लिये काम/रोजगार देने के लिये कोई रोड मैप नहीं बनाया जा रहा है, कुछ बातें की जा रही हैं मगर बातें क्या हैं! बातों का क्या! राज्य में बेरोजगारी की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। मैंने इस चिंता को ध्वनि प्रदान करने के लिये, इसको फोकस में लाने के लिये, 1 सितंबर, 2020 को अपने आवास पर (जहां में अभी आइसोलेशन में हूं) उपवास करने का निर्णय लिया है।
हरीश रावत जी ने कहा कि मेरी, अपने साथियों, सहयोगियों, दोस्तों, मित्रों और बेरोजगार नौजवानों के शुभचिंतकों से प्रार्थना है कि, किसी न किसी रूप से आप हमारे इस उपवास के कार्यक्रम के साथ जुड़ें, ताकि इस जुड़ाव को मैं और आगे लेकर के जा सकूं। मैं एक तिथि घोषित करूंगा, जब अपने विरोध को दर्ज करने के लिये कुमाऊं और गढ़वाल, दोनों स्थानों पर एक-एक सिडकुल की परिक्रमा भी करूंगा और इस परिक्रमा के दौरान बेरोजगारी के सवाल के साथ-साथ श्रम कानूनों में बदलाव लाकर, जो श्रमिक विरोधी कदम उठाये जा रहे हैं राज्य सरकार द्वारा उसके प्रति भी अपना विरोध प्रकट करूंगा।