मुंबई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार उनके राजनीतिक क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए रविवार को दिया गया. उन्हें आशा भोसले, आदिनाथ मंगेशकर और उषा मंगेशकर ने पुरस्कार से सम्मानित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर आते ही पूरा ऑडिटोरियम मोदी-मोदी के नारों से गूंज उठा.
षणमुखानंद हॉल में आयोजित इस भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) शाम 5 बजकर 15 मिनट पर पहुंचे और 80वें मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृतिदिन समारोह के मंच पर सभी का अभिवादन किया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि लता जी “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं. आप देखिए, उन्होंने देश की 30 से ज्यादा भाषाओं में हजारों गीत गाये. हिंदी हो मराठी, संस्कृत हो या दूसरी भारतीय भाषाएँ, लता जी का स्वर वैसा ही हर भाषा में घुला हुआ है. संस्कृति से लेकर आस्था तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, लता जी के सुरों के पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया. दुनिया में भी, वो हमारे भारत की सांस्कृतिक राजदूत थीं.’
पीएम ने ‘श्री सरस्वत्ये नम:’ कह कर शुरू किया अपना संबोधन
पहला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार (Lata Deenanath Mangeshkar Award) स्वीकार करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने ‘श्री सरस्वत्ये नम:’ कह कर अपना संबोधन शुरू किया. उन्होंने कहा कि संगीत का मैं जानकार तो नहीं हूं लेकिन इतना जानता हूं कि संगीत साधना भी है और एक भावना भी है. संगीत का स्वर आपको वैराग्य का बोध करवा सकता है. संगीत आपको मातृत्व की अनुभूति करवा सकता है. संगीत आपमें कर्तव्यबोध और राष्ट्र भक्ति जगा सकता है. हमें लता दीदी को सुनने का सौभाग्य मिला है.लता दीदी से मेरा परिचय चार-पांच दशकों पहले का है. सुधीर फड़के जी ने मेरी पहचान करवाई थी. मैं गर्व से उन्हें दीदी कहता हूं और वो मुझे छोटा भाई का प्यार दिया करती थीं.
यह पुरस्कार भारत के जन-जन को समर्पित
मोदी ने कहा कि मैं यह पुरस्कार भारत के जन-जन को समर्पित करता हूं. जिस तरह वो जन-जन की थीं उसी तरह उनके नाम पर मुझे दिया गया यह पुरस्कार भी जन-जन को समर्पित है. वो सरलता की प्रतिमूर्ति थीं. वो कहा करती थी मनुष्य अपनी उम्र से नहीं कर्म से बड़ा होता है. जो देश के लिए जितना ज्यादा काम करता है, वो उतना ही बड़ा होता है. सिनेमा की चार-पांच पीढ़ियों को उन्होंने अपनी आवाज दी. पूरा विश्व उन्हें सुर साम्राज्ञी मानता था लेकिन वे खुद को साधिका मानती थीं. वो जब भी रिकॉर्डिंग के लिए जाती थीं तो अपनी चप्पलें बाहर उतार देती थीं. उनके लिए ईश्वर की साधना और सुर की साधना एक जैसी थी.
कार्यक्रम में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, विधानसभा में विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस, गायिका आशा भोसले, उषा मंगेशकर और भारत रत्न लता मंगेशकर के परिवार के अन्य सदस्यों समेत कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं, है. इस समारोह में राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के अलावा बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, विनोद तावड़े, किरीट सोमैया, सिंगर रूपकुमार राठौड़, पंकज उदास, सुरेश वाडकर, उदित नारायण, एक्टर नील नितिन मुकेश, जैकी श्रॉफ समेत कई गणमान्य हस्तियां नजर आई.