नयी दिल्ली. जहां पूरा देश कोविड 19 से लड़ने में लगा हुआ है वहीं चीन ने नियंत्रण रेखा पर टकराव के हालात बना दिए हैं. इस झड़प में 20 भारतीय जवानों शहीद हो गए हैं. शुरू में एक अधिकारी और दो सैनिकों के शहीद होने की बात सामने आई थी, लेकिन, देर शाम सेना के बयान में कहा गया कि 17 अन्य सैनिक “जो अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने दम तोड़ दिया है. चीन के सैनिकों ने कांटेदार डंडों से भारतीय सेना पर हमला किया. भारतीय सेना की ओर से शहीद हुए 20 जवानों का नाम आज जारी किया जाएगा.
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में चीन के 43 सैनिक भी हताहत हुए हैं. चीन के संदर्भ में गलवान नदी के क्षेत्र का बेहद इतिहास बेहद दर्दनाक है. 1962 के युद्ध की शुरुआत यहीं से हुई, जब जुलाई 1962 में भारतीय सेना के पोस्ट को घेर लिया था. जिसके बाद चीन और भारत के बीच हुए भयानक युद्ध की नींव रखी गई थी. सीमा पर वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद चीन और भारतीय सेना के बीच बीच यह सबसे बड़ा टकराव है. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे.
पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय के बाद एकबार फिर बड़े सैन्य टकराव के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समग्र समीक्षा की गयी. सीमा पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. बातचीत से हालात में कोई बदलाव नहीं आया है. ना सिर्फ लद्दाख बल्कि एलएसी के दूसरे हिस्सों में भी सेना अलर्ट मोड में आ गई है. चीनी सेना के साथ झड़प 15-16 जून की की रात हुई.