जौनपुर. जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण (Sona Sajwan) जी ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर जौनपुर क्षेत्र पारंपरिक सांस्कृतिक उत्सव दुबड़ी महोत्सव में शिरकत की. इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण ने क्षेत्र के मेले उत्सवों की सुंदर सांस्कृतिक धरोहर को मनाने की सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखने की सराहना की और सभी जौनपुरवासियों को बधाई दी.
जिला पंचायत अध्यक्ष ने दुबड़ी महोत्सव के रंगों में रंगी जनता के उत्साह को देखकर कहा कि हमारी उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर के सरंक्षण की यह अदभुत मिसाल है। अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण ने कहा कि मेरी ईश्वर से यही कामना है कि मैं सदैव इसी प्रकार आप लोगों के बीच आ सकूं और क्षेत्र की हर समस्या से अवगत होकर यथासंभव उसके समाधान के लिए प्रयास कर सकूं।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण ने क्षेत्रवासियों को खेल ग्राउंड, हाई मास्क लाइटें, बाजारों में कूड़े दान बनाने और सार्वजनिक शौचालय आदि कार्यों की सौगात देने का ऐलान किया.
इस बार सेन्दुल गांव में महोत्सव में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण व श्री रघुवीर सजवाण जी को अपने बीच पाकर ग्रामीणों की खुशी दोगुनी हो गई. बड़ी संख्या में जुटे ग्रामीणों ने जिला पंचायत अध्यक्ष का पारंपरिक वाद्ययंत्रों और ढोल-दमाऊं की थाप पर भव्य स्वागत किया. ग्रामीणों ने यहां अपने कुलदेवों को मंडुवा, चौलाई, झंगोरा की नई फसल का भोग लगाया, जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण ने लोगों के साथ मिलकर नए अनाज से रोटियां बनायीं, जिसे प्रसाद के रूप में वितरित किया गया।
अपनी लोकप्रिय नेता श्रीमती सोना सजवाण को यहां की महिलाओं ने पारंपरिक परिधान पहना कर क्षेत्र के सांस्कृतिक रंगों में सराबोर कर दिया. साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में किए जा रहे उल्लेखनीय विकास कार्यों के चलते क्षेत्रवासियों ने जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण को भविष्य का नेतृत्व बताते हुए अपने देवी देवताओं से प्रार्थना की.
उल्लेखनीय है कि जौनपुर क्षेत्र की गौरवशाली परंपरा का अप्रतिम उत्सव दुबड़ी महोत्सव सदियों पुरानी परंपरा का भाग है. यहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दौरान दुबड़ी पर्व भी मनाया जाता है। जन्माष्टमी के बाद जौनपुर ब्लॉक के गांवों में दुबड़ी पर्व के साथ ही यहां पर अन्य त्यौहारों का शुभारंभ भी हो जाता है। जौनपुर विकासखंड के सेन्दुल, मौगी, खैराड़, मसरास, टकारना, कुदाऊं, मुंगलोड़ी, डिगोन सहित दर्जनों गांवों में दुबड़ी का त्योहार मनाया गया। इस पर्व को लेकर एक मान्यता यह भी है इस दिन गांव की सभी बहनें अपने मायके आती हैं और दुबड़ी के दिन वो अपने भाई की खुशहाली के लिए पूजा करती हैं।