देहरादून. केंद्रीय श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद् की 41वीं बैठक आज गुरुवाको वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई. इस बैठक में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व श्री सुबोध उनियाल (मंत्री कृषि, कृषि विपणन, कृषि प्रसंस्करण , कृषि शिक्षा, उद्यान एवं फलोद्योग, रेशम विकास) उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किया गया.
बैठक उपकर की मद में प्राप्त राजस्व में अपेक्षित वृद्धि नहीं होने के दृष्टिगत विशिष्ट रूप से राज्य की क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं को पूर्ण किये जाने पर विचार विमर्श के सदर्भ में आहूत की गयी थी. बैठक में राज्य की क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं को पूर्ण किये जाने हेतु बाजार से ऋण लिए जाने तथा उपकर के अन्तर्गत मदों की संख्या में वृद्धि अथवा विद्यमान मदों पर क्षतिपूर्ति उपकर की दर को बढ़ाये जाने विषयक विकल्पों पर चर्चा की गयी.
श्री सुबोध उनियाल, माननीय कैबिनेट मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राज्य की राजकोषीय बाध्यता के संदर्भ में अवगत कराते हुए राज्य की क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बाजार से ऋण लिये जाने पर विचार किये जाने तथा केन्द्र सरकार द्वारा बाजार से ऋण लेते हुए राज्यों को क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करने विषयक मत जीएसटी परिषद के सम्मुख प्रस्तुत किया गया. इसके अतिरिक्त नयी कर प्रणाली में स्थानान्तरण से जुड़े संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण तथा कोविड -19 महामारी जनित परिस्थितियों के परिणामस्वरूप राज्य के पर्यटन व्यवसाय पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के दृष्टिगत राज्य के राजस्व के प्रतिकूल रूप से प्रभावित होने के क्रम में श्री सुबोध उनियाल द्वारा राज्य की क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं को पूर्ण किए जाने का भी अनुरोध किया गया.
राज्यों के समक्ष क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं को पूर्ण किये जाने हेतु दो विकल्प प्रस्तुत
बैठक के अंत में माननीय वित्त मंत्री , भारत सरकार तथा सभाध्यक्षा, जीएसटी परिषद द्वारा राज्यों के समक्ष क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं को पूर्ण किये जाने हेतु दो विकल्प प्रस्तुत किए गए, जिनके अन्तर्गत लिए गए ऋण की मूल धनराशि एवं व्याज के भुगतान हेतु उपकर को आरोपित किये जाने की अवधि को पाँच वर्ष से अग्रेत्तर अवधि के लिए विस्तारित किए जाने के अधीन रहते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ परामर्श उपरान्त केन्द्र सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधा के माध्यम से राज्यों द्वारा ऋण लिया जाना प्रस्तावित किया गया एवं प्रस्तुत किये गये विकल्पों पर राज्यों को नत संस्थित किये जाने हेतु सात कार्य दिवस प्रदान किये गये. सभाध्यक्षा, जीएसटी परिषद द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि उपर्युक्त विकल्प वर्ष 2020-21 के लिए ही प्रस्तुत किए गए हैं तथा वर्ष 2022-23 हेतु क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं के संदर्भ में जीएसटी परिषद द्वारा माह फरवरी – मार्च , 2021 में पुनः विचार किया जाएगा. बैठक में श्रीमती सौजन्या, सचिव वित्त उत्तराखण्ड तथा केन्द्र एवं राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया.