देहरादून. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भी कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के बीच एक बार बयानबाजी फिर तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज सोशल मीडिया पर एक बार फिर इशारों इशारों में कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह पर हमला बोला है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Former Chief Minister Harish Rawat) ने नाम न लेते हुए कहा कि, समाचार पत्र में छपा है कि एक व्यक्ति विशेष द्वारा संकेतन यह बताया गया है कि 2016 में कांग्रेस पार्टी से भाजपा में दल-बदल व उसके बाद का घटनाक्रम मुझसे नाराजगी का परिणाम है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड से पहले कई राज्यों में जैसे असम, अरुणाचल आदि में भी ऐसा ही दलबदल करवाया गया. उत्तराखंड के बाद मणिपुर, गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी दल-बदल करवाकर सरकारें बनाई गई और कुछ स्थानों पर गिरा कर बनाई गई. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस का अधिकारिक स्टैंड यह रहा है कि यह भारतीय जनता पार्टी व केंद्र सरकार की कुनीति का परिणाम है.
उन्होंने कहा कि कि अंधाधुंध धन, सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी हर तरीके के छल परपंच का उपयोग कर सरकारें गिरायी व बनाई गई हैं. कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र व संविधान की हत्या माना है, लेकिन हमारे कुछ साथी व्यक्तिगत गुस्से में इसे मुझसे नाराजगी का परिणाम बताकर भाजपा को लोकतंत्र की हत्या के दोष से मुक्त कर रहे हैं. रावत ने कहा कि यह जताने की कोशिश हो रही है कि यह दलबदल, धन और सेंट्रल एजेंसीज के उपयोग से नहीं हुआ है, बल्कि एक व्यक्ति से नाराज कुछ लोग भाजपा में पवित्र तीर्थाटन के लिए चले गए. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यदि हमारे कुछ साथी इन तीर्थ यात्रियों को वापस लाना चाहते हैं तो खुशी-2 ले आयें.
हरीश रावत की राजनीति से हटने की शर्त पर भी लाना चाहते हैं तो भी ले आयें. मगर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ले आएं. दस साल भाजपा में तीर्थाटन का आनंद उठाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मूल्य पर इन्हें कांग्रेस में लाने का सपना उचित नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वर्ष 2016 में उत्तराखंड के लोकतान्त्रिक इतिहास में एक गौरवमय पृष्ठ जुड़ा कांग्रेस के मंत्री विधायक व कार्यकर्ता साथियों के अद्धभुत साहस के सामने सर्वविजयी भाजपा नेतृत्व को मुंह की खानी पड़ी.
राष्ट्रपति शासन वापस लिया जाना एक बर्खास्त मुख्यमंत्री व मंत्रियों का बिना शपथ लिए पुनः पदारूढ़ होना दल-बदलुओं को विधानसभा की सदस्यता से शेष अवधि के लिए अयोग्य ठराया जाना उत्तराखंड कांग्रेस व उत्तराखंड की जनता की अभूतपूर्व विजय थी. रावत ने कहा कि एक व्यक्ति से द्वेष के कारण इस गौरवमय पृष्ठ पर स्याही डालना कहां तक उचित है, इस पर विचार किया जाना चाहिए.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि जिस व्यक्ति ने एक निष्ठ भाव से केवल कांग्रेस को देखा हो और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति समर्पित रहा हो, उस व्यक्ति को यह बताने की जरूरत थोड़ी है कि चुनाव में पार्टी नेतृत्व व पार्टी के नाम का क्या महत्व है? संघर्ष के मोर्चे पर लड़ने वाले योद्धा का भी महत्व है. मैं कांग्रेस के विभिन्न संघर्षों के मोर्चों पर लड़ने वाला सिपाही रहा हूं और आज भी डटा हुआ हूं. जब 2017 की हार के बाद भी मैं उत्तराखंडियत के विभिन्न आयामों का उपयोग कर कार्यकर्ताओं को निराशा से बहार निकालने का प्रयास कर रहा था और आज भी घर बैठने की वजाय कार्यकर्ताओं के साथ संघर्ष में खड़ा हूँ. 2024 और 2027 के लोकतांत्रिक युद्ध के लिए विभिन्न अस्त्र और उपायों को खोज रहा हूँ और लोकतांत्रिक लड़ाई के मोर्चे को मजबूत कर रहा हूं. यदि मानव इतिहास में कोई व्यक्ति है, जिससे गलतियां नहीं होती हैं?