देहरादून. उत्तराखंड में UKSSSC भर्ती घोटाले (UKSSSC Recruitment Scam), विधानसभा में बैकडोर नियुक्ति और अंकिता हत्या प्रकरण में अपना सैदधांतिक पक्ष खुलकर रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat) के बाद अब अपने बयानों को लेकर चर्चित रहने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Former Chief Minister Tirath Singh Rawat) के एक और विवादित बयान ने जहां राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं विपक्ष को हमला करने के लिए एक और नया हथियार दे दिया है.
दोनों पूर्व मुख्यमंत्री ‘रावतों’ के बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश ‘रावत’ (Former Chief Minister Harish Rawat) ने इस बयान पर भाजपा सरकार और उन्हें घेरते हुए कहा है कि जब कांग्रेस सरकार 2016 में विधिवत तौर पर लोकायुक्त का चयन करने जा रही थी, तब और वह फाइल राज्यपाल को अनुमोदनार्थ भेज दी थी तो आखिर उसे क्यों दबा कर रखा गया.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कुमाउंनी में लिखा- म्यार दुईया छुट भुला तीरथ सिंह रावत ज्यू और माननीय त्रिवेंद्र सिंह रावत ज्यू, किलैं अब भ्रष्टाचारक बोझ असहनीय लागन फट गौ! हमरि सरकारल 2016 में विधिवत तौर पर लोकायुक्त का चयन कर माननीय राज्यपाल को अनुमोदनार्थ फाइल भेज दी थी. आखिर वह फाइल क्यों गवर्नर हाउस में ही दबी रह गई. इसका जवाब तो मेरे दुईया छुट भुला को भी देना ही पड़ेगा न!
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लिखा आज लोकायुक्त होता तो अपने मन में उपजे शोक का प्रायश्चित करने म्यार दुईया छुट भुला लोकायुक्त के पास जा सकते थे. उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, भाजपा ने शायद तय किया है, न बांस होगा-न बांसुरी बजेगी!
बता दें कि भर्ती घोटाले, अंकिता हत्याकांड का गुस्सा अभी थमा भी नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड में कमीशनखोरी पर एक वीडियो में दुख जताकर कमीशन के खेल की पोल खोल दी है. पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक विवादास्पद बयान में उत्तराखंड में 20 प्रतिशत कमीशन के बिना कोई काम नहीं होने की बात कही थी, उनका यह बयान कल देश भर के अखबारों की सुर्खियों में छा गया था.