मुंबई. जहां हम गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग को लेकर विचार गोष्ठियों तक ही सीमित हों, वहीं उत्तराखंड के पौड़ी के मूल निवासी एक युवा ने गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली को विश्व की बोली भाषा बना दिया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के युवा उद्यमी श्री आकाश भारद्वाज की.
आकाश भारद्वाज ने हैलो उत्तराखंड ऐप बनाकर विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं को गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी में समझने और समझाने के लिए नायाब तोहफा पर्यटकों और उत्तराखंडवासियों को दिया है. हाल ही में युवा उद्यमी आकाश भारद्वाज कौथिग मुंबई में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे, इस दौरान Ukkhabar.com ने उनसे लंबी बातचीत की-
आपको यह विचार कैसे आया कि हैलो उत्तराखंड ऐप बनाया जाय
मैं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत जी के रिवर्स पलायन के आह्वान से प्रभावित हुआ और फिर सोचा कि ऐसा कुछ किया जाए जिससे हमारे उत्तराखंड को लाभ हो. क्योंकि मैं अक्सर ट्रेकिंग और पयर्टन का शौकीन रहा हूं और मैंने यह महसूस किया कि विदेश से आने वाले पर्यटकों को यहां की बोली समझ में न आने के कारण वे उत्तराखंड की खूबसूरती के बजाय उन जगहों की ओर मुड़ जाते हैं जहां उनकी बोली भाषा लोग समझ सकें. साथ ही हमारे उत्तराखंड में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग विदेशी पर्यटकों की भाषा न जानने के कारण पर्यटकों की मांग पूरी करने मैं असहज महसूस करते हैं और इसका खामियाजा उन्हें अपने व्यवसाय में नुकसान से उठाना पढ़ता है.
हैलो उत्तराखंड ऐप के बारे में विस्तार से बताएं कि कैसे काम करता है यह
हैलो उत्तराखंड ऐप गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी शब्द जर्मन, चाइनीस, जैपनिज, इटेलियन आदि भाषा में समझा और बोला जा सकेगा. कोई भी विदेशी पर्यटक अपने देश की भाषा में उत्तराखण्ड की गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली/भाषा के शब्दों को बोल व समझ सकेगा. इस एप की खासियत यह है कि इसका इस्तेताल कम पढ़े-लिखे लोग भी आसानी से कर सकते हैं इसमें स्पीक का आप्शन आपको अपनी बोली बोलकर मनचाही भाषा में बोल कर ही समझा देगा.
कितनी भाषाओं को समझाएगा यह ऐप
अभी ऐप से लगभग 100 भाषाओं में अनुवाद हो सकेगा. अभी इस ऐप का केवल बीटा वर्जन जारी किया गया है, जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है. इस ऐप पर लगभग दो वर्ष से हमारी टीम काम कर रही है, जो अब तैयार हो चुका है. इस ऐप को कुछ दिनों में बड़े स्तर पर लांच किया जायेगा. अभी केवल आम लोगों के सुझाव व परीक्षण के तौर पर यह ऐप लांच किया गया, ताकि स्थानीय स्तर पर बोले जाने वाले शब्दों का उच्चारण व अन्य किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या को जाना व समझा जा सके. तकनीकी परीक्षण सफल होने के बाद इस ऐप को बृहद स्तर पर लांच किया जायेगा.
आप युवाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे
मेरा मानना है कि हमारे युवाओं को अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल अपने मूल राज्य के लिए करना चाहिए. अगर उत्तराखंड का युवा राज्य में आकर अपनी प्रतिभा का उपयोग करेंगे तो यह राज्यहित में होगा. मैंने भी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की रिर्वस पलायन की मुहिम से प्रभावित होकर राज्य में रहकर अपने समाज के लिए कार्य करने का निर्णय लिया. उत्तराखण्ड में पर्यटन की अपार संभावनाएं है और इस ऐप के आने के बाद हमारे राज्य में पर्यटन क्षेत्र को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा. साथ ही हमारी सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक सभ्यता से भी विदेशी पर्यटक और अच्छे से जान व समझ सकेंगे. इस प्रयास में सभी राज्यवासियों का सहयोग चाहिए.
बता दें, आकाश मूल रूप से पौड़ी जनपद का रहने वाले हैं, जिनके पूर्वज काफी पहले दिल्ली में आकर वहीं बस चुके थे. आकाश ने दिल्ली को छोड़ घर आकर अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल राज्य के पर्यटन व्यवसाय को बढ़ाने वाली आधुनिक तकनीकी से जोड़कर किया. वर्तमान में आकाश एक आई.टी. कंपनी संचालित कर रहे हैं. आकाश ने इससे पहले राज्य सरकार के लिए ‘उत्तराखण्ड पुलिस ऐप’ भी तैयार किया था, जिसे गूगल प्ले स्टोर से लगभग एक लाख बार डाउनलोड किया गया.
ऐसे डाउनलोड करें ऐप………..वीडियो