देहरादून. अन्न सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना आदि की तमाम कोशिशों के बाद भारत में भूख सूचकांक बढ़ने की और इंगित किया गया है. कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए अन्न सुरक्षा कानून और गरीबों को 2 जून की रोटी आसान करने केंद्र की वर्तमान सरकार की गरीब कल्याण अन्न योजनाओं के बावजूद गरीबों को 2 जून के निवाले के मामले में भारत पिछड़ता जा रहा है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में भारत इस बार 6 सीढ़ी लुढ़क कर 107 वें स्थन पर दिखाया गया है. कुल 121 देशों की रैंकिंग में भारत को दी गई 107वीं रैंकिंग चिंता बढ़ाने वाली है. हैरानी की बात यह है कि तमाम महंगाई और संकट के बाद भी पड़ोसी देश पाकिस्तान को इस रैंकिंग में 99 नंबर पर दिखाया गया है. हालांकि इस रिपोर्ट को केंद्र ने भी खारिज कर दिया है और इसे भारत को बदनाम करने की साजिश करार दिया गया है.
रिपोर्ट के मायने जो भी हों, लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स की जारी रिपोर्ट पर अब कांग्रेस को केंद्र सरकार पर हमला करने का नया हथियार मिल गया है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इससे केंद्र सरकार पर इस हथियार से प्रहार करना भी शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि हम आज नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान तो छोड़ दीजिए, सोमालिया से भी पीछे हैं, तो सोमालिया से भी भूख का प्रतिशत हमारे देश में ज्यादा है और हर वर्ष बढ़ रहा है. हरीश रावत ने कहा, इसलिए तो राहुल गांधी कह रहे हैं कि यह सरकार केवल कुछ अमीरों को और ज्यादा अमीर बनाने वाली सरकार है. यह सरकार गरीबों को और गरीब बना रही है और गरीबों की संख्या बढ़ा रही है, इसलिए भारत में भूख का सूचकांक बढ़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि दुनिया में किन देशों में कितने लोग भूखे हैं इसकी हर वर्ष गणना होती है और उसका एक सूचकांक बनता है, जिसको हंगर इंडेक्स कहा जाता है. 2014 से पहले भारत दुनिया के 121 देशों में 90वें स्थान पर था. तब यूपीए सरकार ने अन्न सुरक्षा कानून बनाया था. सस्ता गेहूं व चावल देने का कानून लगातार आगे बढ़ाया गया. कोविड काल में फ्री राशन जैसे उपाय केंद्र की वर्तमान सरकार ने किए, बावजूद भारत में भूख का सूचकांक बढ़ता दिखाया गया है.
सरकार ने रिपोर्ट को किया खारिज
हालांकि भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. सरकार का कहना है कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा है. सरकार का कहना है कि यह रिपोर्ट गलत और भ्रामक सूचनाओं पर आधारित है.