मुंबई. उत्तराखंड में पिछले दिनों त्रिस्तरीय चुनाव में प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष को सीधे जनता द्वारा चुने जाने की तैयारी की बात सामने आई थी. जिसे प्रमुख और जिला पंचायत के चुनाव में सदस्यों की खरीद फरोख्त के आरोपों से बचने के लिए बड़े राजनीतिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है.
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव में सुधार की यह तैयारी भले अभी चर्चा परिचर्चा के स्तर तक सीमित हो, लेकिन भाजपा के समर्थन से बनी नई महाराष्ट्र सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में सुधार की बड़ी शुरुआत कर दी है. कल गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार ने अपने स्थनीय निकाय नगरपालिका, नगरपरिषद एवं नगर पंचायत के अध्यक्ष तथा सरपंच का चुनाव जनता के जरिए कराने का प्रस्ताव पास कर दिया है. अभी तक यहां इन निकायों में चुने गए सदस्य अध्यक्ष का चुनाव करते थे.
खास बात यह है कि महाराष्ट्र में भाजपा के सर्मथन से बनी सरकार ने इन चुनावों से जुड़े बड़े सुधार की कवायद करते हुए कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया है कि आम नागरिक नगरपालिका, नगरपरिषद एवं नगर पंचायत के अध्यक्ष तथा सरपंच का चुनाव सीधे मतदान के जरिये कर सकेंगे और इसमें ढाई साल तक उक्त पदों पर आसीन व्यक्तियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा. अर्थात उक्त पद पर जनता जिसे चुनेगी उसे जनता के कार्य करने में कोई राजनीतिक दलगत अस्थिरता का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं ग्राम स्तर पर सरपंच एवं उप सरपंच के दो साल के कार्यकाल के पहले एवं अंतिम 6 माह में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है.