दिल्ली। सांस्कृतिक विविधता की भूमि श्रीलंका (कोलंबो) में 18 से 25 फरवरी तक 22वें अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें भारत से लगभग 55 ख्यातनाम साहित्यकारों,बुद्धिजीवी और समाज से जुड़े विभिन्न प्रबुद्धजनों ने सहभागिता की। सम्मेलन में विभिन्न विधाओं में प्रकाशित कृतियों का विमोचन भी किया गया। इस बार सम्मेलन की संगोष्ठी का विषय था,’राम का नाम-राम का काम’ जिस पर व्यक्ताओं ने अपने-अपने विाचर व्यक्त किए।
श्रीलंका में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन 18 फरवरी को दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम में श्रीलंका में हिंदी भाषा के लेखकों, अनुवादकों, रिसर्च स्कॉलरो और अध्यापकों को ‘महात्मा गांधी स्मृति सम्मान’ से सम्मानित किया गया। अतिथि सहभागी के तौर पर केलनिय विश्वविद्यालय श्रीलंका के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ.लक्ष्मण साथ ही डॉ.नीता सुभाषिणी सेनेविरत्न, डॉ.इ.जी.वजीर गुणसेना, डॉ.अमिला दमयंती, लेखिका, उपन्यासकार बंसथ पद्मिनी, लेखिका डॉ. निरोशन सलवाथुरा, डॉ.संगीथ रत्नायके,डॉ.जे.ए.डी.सरसी उपेक्षिका रणसिंह, डॉ.निल्मणि सल्वतुर,सुश्री सुभा रतनायक और उपुल रंजीत हेवाविथनागमगे उपस्थित रहे। इस मौके पर श्रीलंका के कलाकारों द्वारा रामायण को लेकर शानदार प्रस्तुति ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया।
सम्मेलन में हिंदी अध्ययन विभाग, केलणिय विश्वविद्यालय, श्रीलंका के माध्यम से 22वें अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के सभी प्रतिभागियों का सम्मान भी किया गया।
श्रीलंका में आयोजित 22वें अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में पत्रकार-कवि जगमोहन ‘आज़ाद’ को साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि,आलोचक-निबंधकार और तारसप्तक के कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की स्मृति में प्रदान किए जाने वाला मुक्तिबोध स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
श्रीलंका के कोलंबो में ग्लोबल टॉवर्स होटल में आयोजित 22वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन के संस्कृतिकर्मियों, सहभागियों के सम्मान समारोह में सम्मानित होने के बाद जगमोहन ‘आज़ाद’ ने स्वागताध्यक्ष व संयोजक डॉ.सविता मोहन,अध्यक्ष मंडल,आनंद प्रकाश गुप्ता,डॉ.रामकृष्ण राजपूत,डॉ.अजय पाठक,डॉ.हरिसुमन बिष्ट,डॉ.रूपा सिंह और अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिवार भारत का आभार प्रकट करते हुए कहा कि अंहिंस परिवार द्वारा मुझे अंतरराष्ट्रीय मंच पर तीसरी बार सम्मानित किया जा रहा है। इसके लिए मैं अंहिंस परिवार का आभारी हूं। साथ ही मैं गजानन माधव मुक्तिबोध की स्मृति को नमन् करते हुए उनकी स्मृति में मुझे प्रदान किए इस सम्मान को उत्तराखंड की माटी से जुड़ी हुई नारी शक्ति और अपनी पत्नी सुनीता को समर्पित करता हूं। जो मेरी लिए हमेशा प्रेरक रही है। जिनकी प्रेरणा से मैं आज यहां तक पहुंचा हूं।
आपको बता दें कि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के ग्राम नौली में जन्में कवि-पत्रकार जगमोहन ‘आज़ाद’ पिछले 25 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े हैं और कई उपलब्धियां प्राप्त कर चुके हैं। उनके अभी तक तीन कविता संग्रह,एक बाल कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुका है। जगमोहन ने गढ़वाली कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल पर पुस्तक ‘प्रकृति के कवि चन्द्रकुंवर बर्त्वाल’का संपादन किया हैं तो,वो उत्तराखंड के लोक कलाकारों के जीवन परिवेश पर शोध करने वाले वह पहले शोधकर्ता है। इस शोध पर उनका शोध कार्य ‘लोक की बात’ नाम से प्रकाशित हैं। इसी के साथ जगमोहन ‘उत्तराखंड सिनेमा का इतिहास’ और ‘उत्तराखंड की लोक विरासत’ पर भी शोध कर रहे हैं। वह साहित्य कला एवं फिल्म से जुड़े लगभग पांच सौ से अधिक लोगों के साक्षात्कार कर चुके हैं।
जगमोहन ‘आज़ाद’ को साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के साथ-साथ कई सामाजिक संस्थाएं सम्मानित कर चुकी है। श्रीलंका में 22वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में सम्मानित होने पर जगमोहन ‘आज़ाद’ को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी,पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत,हरीश रावत सहित उत्तराखंड के साहित्याकारों और पत्रकारों ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
सम्मेलन में उत्तराखंड से वरिष्ठ लेखक डॉ.सविता मोहन,उपन्यासकार डॉ.हरिसुमन बिष्ट,लेखिका डॉ.पुष्पा जोशी,डॉ.रेणु पंत,पुष्पा उनियाल,कमला बिष्ट,उमा बिष्ट,पूरन सिंह बिष्ट और पत्रकार-कवि जगमोहन ‘आजाद’ ने प्रतिभाग किया। इस सम्मलेन में डॉ.हरि सुमन बिष्ट को उनके संपूर्ण साहित्यिक योगदान के लिए ‘आपका तीस्ता हिमालय’ साहित्य सृजन सम्मान,प्रो.पुष्पा उनियाल को डॉ.श्यामलाल निर्मोही स्मृति सम्मान,डॉ.सविता मोहन को श्यामाचरण दुबे स्मृति सम्मान,पूरन सिंह बिष्ट को प.किशोरी मोहन त्रिपाठी सम्मान,उमा बिष्ट को प.सुंदरलाल शर्मा स्मृति सम्मान,डॉ.पुष्पा जोशी को छोटेलाल श्रीवास्तव स्मृति सम्मान,कमला बिष्ट को वीर नारायण सिंह स्मृति सम्मान,डॉ.रेणु पंत को यति यतनलाल स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। श्रीलंका में 22वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में