मुंबई. मुंबई में लाकडाउन के बाद होटल मालिकों की बेरुखी से ऐन कैरोना वायरस के मौके पर मुंबई में सैकड़ों उत्तराखण्डियों के सामने जीने का संकट खड़ा कर दिया है. होटल मालिकों ने होटलों में काम करने वाले युवाओ को बिना तनख्वाह दिए शटर गिरा कर इन कर्मियों को उनके हाल पर छोड़ दिया है. इस चुनौती से निपटने के लिए कौथिग फाउंडेशन मुंबई आगे आया है और लोगों से भारी पैमाने पर अन्नदान करने की अपील की है. कौथिग फाउंडेशन ने कहा है कि जो भी युवा ऐसे पेरशान हैं वे कौथिग फाउंडेशन के मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.
मुसीबत में फंसे लोगों ने कहा हमें है मदद की जरूरत
#चावल 10 किलो #दाल 5 किलो #मसाला_मिक्स 1 किलो #तेल 3 लीटर #प्याज़ 5 किलो #टमाटर 3 किलो #चायपत्ती 500 ग्राम #चीनी 2 किलो. यह वह लिस्ट है जो होटल में काम करने वाले उन 5 युवा उत्तराखंडियों की ओर से हमें प्राप्त हुई है, जिन्हें तत्काल मदद की जरूरत है. इस मांग को शीघ्र पूरा किया है एडवोकेट दरम्यानसिंह बिष्ट ने, लेकिन यह अभी शुरुआत है और कहना न होगा कि क्या हम दाने-दाने को मोहताज़ अपने बंधु-बांधवों की सुध लेंगे या स्वयं में सिमट कर आगे बढ़ जाएंगे.
संकट की इस कठिन घड़ी में मिल कर आगे बढ़ेंगे
कौथिग फाउंडेशन ने विश्वास जताया है कि हम मिल कर आगे बढ़ेंगे और संकट की इस कठिन घड़ी में अपनी कौम की उस ताकत को बिखरने नहीं देंगे, जिसने विश्व पटल पर अपनी पाककला का लोहा मनवाया है. कौथिग फाउंडेशन ने कहा कि यह समाज निर्माण की कड़ी में आगे बढ़ते हुए समाज के भीतर विश्वास पैदा करने का वक़्त भी है कि संकट की हर घड़ी में समाज आपके साथ हैं…डरें नहीं, घबराएं नहीं, विचलित न हों. कौथिग फाउंडेशन ने कहा कि बेशक हम सब निजी स्तर पर प्रयास कर रहे हैं. पर संकट इतना बड़ा है कि एकल प्रयासों से ज़्यादा कुछ हासिल नहीं होगा. इसलिए बड़े सामूहिक प्रयास की जरूरत है.
कौथिग फाउंडेशन ने सभी से अनुरोध किया है कि युवाओं की मदद की इस पहल में समाज के लोग आगे आऐ आएं और दो ज़िम्मेदारियां निभाने की भूमिका अदा करें.
प्रथम
महाराष्ट्र के किसी भी क्षेत्र में संकट से घिरे साथियों की सूचना हमें प्रदान करें.
द्वितीय
हम आपके करीब रह रहे संकटकालीन साथी की जो सूचना आपको देंगे, उन्हें अन्नदान करें.
कौथिग फाउंडेशन ने कहा कि यह एक समाज के रूप में हमारे लिए अग्नि परीक्षा का समय है और उम्मीद हम मिल कर इस अग्नि परीक्षा में सफल सिद्ध होंगे. ऐसा नहीं है कि सिर्फ होटलकर्मी ही आफ़त में हैं. दूसरी विधाओं में कार्य करनेवाले कई उत्तराखंडी भी संकट में हैं. इसलिए सबसे पहली जरूरत इनकी जानकारी जुटाना और इन्हें तत्काल राहत उपलब्ध कराने की है.