टिहरी. प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री को चार धाम सड़क परियोजना में हो रहे गम्भीर भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और चिंतनीय पर्यावरणीय प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुये पत्र लिखा है. उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने अपने पत्र में कहा है कि यह कैसी सड़क बन रही है, जिस सड़क पर गुजरात का एक ठेकेदार मात्र चौड़ीकरण पर प्रति किलोमीटर दस करोड़ रुपये का गोल-माल कर रहा है.
उपाध्याय ने पत्र में कहा है राजनीतिक स्वार्थ के लिए चारधाम परियोजना के नाम पर उत्तराखंड के जन, जल, जंगल, ज़मीन, देश के और हिमालयी पर्यावरण के साथ किये जा रहे खिलवाड़ की ओर सरकार का ध्यान दिलाया है. श्री किशोर उपाध्याय ने कहा कि परियोजना को मैदानी क्षेत्र के मानकों (DLPS) के अंतर्गत डिजाइन किया गया. उन्होंने कहा कि मैदानी क्षेत्र के इस मानक के तहत लगभग 700 हेक्टेयर से अधिक जमीन का अभी तक अधिग्रहण किया जा चुका है. पहाड़ों के भारी कटान से कई भूस्खलन ज़ोन पैदा हो कर नासूर बनते जा रहे हैं. मलबे का निस्तारण समस्या बन खड़ा है. चारा-चुगान, जल-श्रोतों और पैदल रास्तों को भारी क्षति पहुंची. कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी.
पत्र में ध्यान दिलाया गया है कि DLPS मानक के तहत एक किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण का खर्चा 8-10 करोड़ रुपये रखा गया. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में बनने वाली नयी सड़क की कीमत 1 करोड़/किलोमीटर भी नहीं है. देश की भारी सम्पदा गलत मानकों में लुटाई जा रही है. परिणामस्वरूप प्राकृतिक सम्पदा भी नाश हो रही है.
उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी रिपोर्ट में खुलासा होता है कि स्थापित वन अधिनियम, पर्यावरणीय मानकों का भी सरेआम उल्लंघन हुआ, जिसके चलते पर्यावरण और जान-माल की भारी क्षति हुई. 12 हजार करोड़ की राशि केवल पहाड़ खोदने और मलबे को उड़ेलने में खर्च हुई. सड़क निर्माण तो नाम मात्र रहा है.
सुप्रीम कोर्ट कमेटी की 5 फीट के पैदल फुटपाथ की सिफारिश स्वागत योग्य
उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कमेटी ने चारधाम मार्ग पर तीर्थयात्रियों और स्थानीय जनों के उपयोग के लिए सड़क मार्ग के साथ-साथ एक 5 फीट के पैदल फुटपाथ की सिफारिश की है जो स्वागत योग्य है. इस तरह 5.5 मीटर काली सतह, 1.5 मीटर पैदल यात्रियों तथा स्थानीय जनों के लिए फुटपाथ, 1 मीटर में सुरक्षा ढांचा के तहत कुल 8 मीटर के अंतर्गत सड़क का निर्माण सर्वथा उचित है.समिति ने यात्रा मार्ग को टोल मुक्त रखने की सिफारिश और ग्रामीणों के रास्ते, पानी के श्रोत तथा अन्य क्षति-ग्रस्त सुविधाओं को तत्काल दुरुस्त करने की सिफारिश की है, जो स्वागत योग्य है. सेना वाहनों की सुगम आवाजाही के लिए भी यह मार्ग सर्वथा उचित है.
दस हज़ार से ज़्यादा पानी के स्रोत ख़त्म
उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने कहा कि चार धाम रोड परियोजना में झोल ही झोल हैं. इस परियोजना में सवा लाख से ज़्यादा पेड़ काटे, दस हज़ार से ज़्यादा पानी के स्रोत ख़त्म हुए, Wildlife को गम्भीर ख़तरा पैदा हुआ.
हिमालय बचाओ आन्दोलन के संयोजक किशोर उपाध्याय ने पत्र में सरकार का ध्यान दिलाया कि देश का धन, जनता के जान-माल और हिमालयी पर्यावरण से खिलवाड़ हेतु परियोजना कार्यों की जांच और दोषियों की जवाबदेही तय हो. सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षित रूप से कार्य पूरा करवाया जाए और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे.