रुद्रप्रयाग. जोशीमठ भू धंसाव की घटना ने अब उन गांववासियों की चिंता और बढ़ा दी है, जो कुछ इसी तरह घरों में पड़ी दरारों से चिंतित थे. रुद्रप्रयाग के मरोड़ा गांव में भी मकानों पर दरारें व भू धंसाव से यहां के ग्रामीण भी घर छोड़ने मजबूर हैं. भू धंसाव जैसी स्थिति का सामना कर रहे मरोड़ा गांव में मंगलवार को उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी व उनकी टीम ने दौरा किया.
जिसके बाद केंद्रीय मीडिया प्रभारी मोहित डिमरी ने इस गांव की स्थिति शेयर की है. बताया गया है कि मरोड़ा (घोलतीर) गांव में लोगों के आवासीय घर ज़मीदोज़ हो गए हैं. इस गांव के तकरीबन 40 परिवारों में आधे परिवारों ने गांव छोड़ दिया है. वह किराए के मकान में रह रहे हैं. जबकि आधे परिवार टीन शेड में रहने के लिए विवश हैं.
प्रभावितों का कहना है कि पिछले कई माह से रेलवे की ओर से प्रभावितों को किराया नहीं दिया गया है. वहीं टीन शेड में बिजली-पानी की सुविधा तक नहीं है. प्रशासन की ओर से प्रभावितों को नवंबर माह में मुआवजा देने का वायदा किया गया था, लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं दिया. लोगों ने टीम को बताया कि मुआवजे की धनराशि ऊँट के मुंह में जीरे के समान है.
इस धनराशि से वे बमुश्किल जमीन ही खरीद सकते हैं. गांव के प्रभावित चाहते हैं कि उनका पुनर्वास हो. उन्हें मकान और गौशाला बनाकर दी जाय. साथ ही खेती के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए. ताकि वह पशुपालन और खेती-बाड़ी से अपनी आजीविका चलाते रहें. अभी तक उनकी आर्थिकी का मुख्य स्रोत पशुपालन और खेती-बाड़ी ही है.
इस मौके पर उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष बुद्धिबल्लभ ममगाई, , वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगत चौहान ने प्रभावित ग्रामीणों से कहा कि वह उनके हक की लड़ाई पूरी शिद्दत के साथ लड़ेंगे. इससे पूर्व भी यूकेडी की टीम दो बार प्रभावित क्षेत्र में आ चुकी है. प्रभावितों की समस्याओं के निस्तारण और उन्हें न्याय दिलाने के लिए शासन-प्रशासन के साथ ही रेलवे के उच्चाधिकारियों से वार्ता की जाएगी.