श्रीनगर. उत्तराखंड के देवलगढ़ में तीन दिवसीय माँ गौरा मंदिर देवलगढ़ (Devalgarh) कलश यात्रा का समापन भव्य शोभायात्रा के रूप में सम्पन्न हुआ. इस अवसर पर तीन दिन तक बड़ी संख्या में क्षेत्र के भक्तों ने माँ गौरा की आराधना कर उत्तराखंडवासियों के सुख समृद्धि की कामना की.
उत्तराखंड क्रांति दल के कोषाध्यक्ष और समाजसेवी श्री मोहन काला (Mohan Kala) के द्वारा माँ गौरा की भव्य कलश यात्रा निकाली गयी, जिसकी शुरुआत सुमाड़ी गांव से हुई. कलश यात्रा पहले दिन कीर्तिनगर से ढूंढप्रयाग होते हुए श्रीनगर डालमिया धर्मशाला, सिरकोट, स्वीत, धारी देवी, डूंगरिपंथ, बिदेशु, खिर्सू, चोबट्टा होकर हुलकी खाल पहुंची. यहां प्रथम दिवस विश्राम करने के बाद दूसरे दिन यात्रा हुलक़ी खाल से कठुलि, चमराड़ा, खंडा, सिरकोट, जमनाखाल, ढिकालूगाँव, सरणा होकर रात्रि विश्राम के लिए सुमाड़ी पहुंची.
मां गौरा की यात्रा तीसरे और आख़िरी दिन सुमाड़ी से बुघानी, सुरालू गांव होकर देवलगढ़ पहुंची. जहां यज्ञ के पश्चात कलश की स्थापना हुई. यहां हजारों लोगों ने मां गौरा के दर्शन किए और आशीर्वाद लिया. इस अवसर पर विशाल भंडारे में का भी आयोजन किया गया था, जिसमें लगभग 2000 भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया.
बता दें कि श्रीनगर क्षेत्र में सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाने वाले श्री मोहन काला जी के द्वारा इस कलश का जीर्णोद्धार किया गया है. लगभग 450 साल बाद हुए कलश का जीर्णोद्धार मां गौरा के भक्त श्री मोहन काला जी के द्वारा किया गया है, जिसकी सभी क्षेत्रवासियों ने सराहना की है. मिली जानकारी के अनुसार, इससे पहले यहां कलश की स्थापना देवल राजा के बाद राजा अजयपाल ने की थी, परन्तु कई दशकों से यह कलश जीर्णशीर्ण हालत में था.
18 किलो का कलश स्थापित
देवलगढ़ मंदिर समिति ने इस कलश नवनिर्माण के लिए श्री मोहन काला का आभार जताया है. पहले कलश का वजन 4.50 किलो मात्र था, जबकि काला जी द्वारा भेंट किए गए नए कलश का 18 किलो है. देवलगढ़ मंदिर समिति के आग्रह पर काला जी ने यह कलश दो साल पहले ही बनवा लिया था, लेकिन कोविड के कारण इसका भव्य स्थापना आयोजन नहीं हो सका था. कोरोना के घटने के बाद अब उत्तराखंड के देवी देवताओं के मंदिरों में भक्तों को तांता लगना शुरू हो गया है और देवलगढ़ मंदिर में नया कलश लग जाने से यहां और भी रौनक लौट आई है.