घनसाली. टिहरी गढ़वाल के भिलंगना विकासखंड के भिलंग पट्टी में नंदा भगवती का विशाल यज्ञ का शुभारंभ शुक्रवार को हो गया. 17 फरवरी तक मां भगवती के यज्ञ में चार वेद एवं दो पुराणों का आयोजन बजिंगा में किया जा रहा है. यज्ञ के शुभारंभ के अवसर पर सुबह सबसे पहले जल घड़ी निकाली गई, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.
क्षेत्र के समाजसेवी व युवा नेता श्री नित्यानंद कोठियाल ने बताया कि संयर मंथन से होम के लिए अग्नि प्रज्जवलित की गई. मां नंदा के होम का आयोजन भिलंग पट्टी के 22 गांव कर रहे हैं. मान्यता के अनुसार कई सदियों से ही भिलंग पट्टी के 22 गांव (मलेथा से पोखार के मध्य) के समस्त लोग हर 12 वर्ष में मां भगवती का विशाल यज्ञ आयोजन करते हैं.
इस आयोजन में मां भगवती की डोली यज्ञ से 6 माह पूर्व अपने मूल स्थान बजिंगा से निकल कर 6 माह के लिए ग्राम सभा सांकरी में प्रवास पर रहती हैं. छह माह वहां रहने के पश्चात मकर संक्रांति से 4 दिन पूर्व अपने मूल स्थान बजिंगा में आती हैं तथा मकर संक्रांति के दिन से ही अपने 22 गांव में भ्रमण पर थी.
प्रत्येक 12 वर्ष में होता है मां भगवती का विशाल यज्ञ
यह यज्ञ लगभग १२ वर्षों के बाद आयोजित होती है. लोक इतिहास के अनुसार नन्दा भगवती गढ़वाल के राजाओं के साथ-साथ कुँमाऊ के कत्युरी राजवंश की ईष्टदेवी थी. इष्टदेवी होने के कारण नन्दादेवी को राजराजेश्वरी कहकर सम्बोधित किया जाता है. नन्दादेवी को पार्वती की बहन के रूप में देखा जाता है तो कहीं-कहीं नन्दादेवी को ही पार्वती का रूप माना गया है. पूरे उत्तराखण्ड में समान रूप से पूजे जाने के कारण नन्दादेवी के समस्त प्रदेश में धार्मिक एकता के सूत्र के रूप में देखा गया है. साथ ही गढ़वाल के परंपरागत नन्दा जागरी (नन्दादेवी की गाथा गाने वाले) भी इस यात्रा की कहानी को बयाँ करते हैं.
बजिंगा गांव में हैं मां नंदा का निवास स्थान
दुर्गम पहाड़ी पैदल मार्ग को तय करने हेतु मां नंदा अपने निवास स्थान टिहरी गढ़वाल के बजिंगा गांव से यात्रा शुरू करके पूरे 22 गांव का भ्रमण करती है.
उसके उपरांत एक महा यज्ञ का आयोजन होता है, जिसमें 22 गांव के लोग श्रद्धा अनुसार अपना सहयोग देकर इस यात्रा को संपन्न करते हैं. मां भगवती का सदैव अपने भक्तों पर आशीर्वाद बना रहता है.