पौड़ी. पौड़ी के नगर पालिका अध्यक्ष श्री यशपाल बेनाम जी की पुत्री का विवाह समारोह स्थगित हो गया है. हाल ही में यशपाल बेनाम बेटी की शादी एक अन्य समुदाय के युवा से होने की जानकारी विवाह के निमंत्रण कार्ड के जरिए सामने आई थी और कार्ड के सामने आने से सोशल मीडिया में इस शादी समारोह को लेकर उत्तराखंड ही नहीं, देश भर में तरह तरह की चर्चा शुरू हो गई थी.
सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के बाद अब भाजपा नेता व नगरपालिका पौड़ी के अध्यक्ष यशपाल बेमान ने एक समझदारी का निर्णय लेकर और एक बेटी के पिता की भावनाओं से अधिक समाज व संस्कृति की रक्षा को महत्व देते हुए इस विवाह समारोह को दोनों परिवारों की सहमति से स्थगित करने का ऐलान किया है.
समाज के कई लोगों ने की यशपाल के इस कदम की सराहना
विवाह समारोह को ही स्थगित होने के बाद अब समाज के कई लोगों ने यशपाल बेनाम के इस कदम की सराहना की है. राष्ट्रपति से सम्मानित व महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार श्री राजेश्वर उनियाल जी ने यशपाल बेनाम द्वारा अपनी बेटी की शादी स्थगति करने पर खुशी जताई है और उत्तराखंड के पौड़ी अनेक विशेषताएँ गिनाई है. श्री उनियाल ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, बंधुओ, मेरा सौभाग्य रहा है कि मेरा बचपन भी उसी पौड़ी नगरी में हुआ, जहां प्रातःकाल दरवाजा खोलते ही सामने गिरिराज हिमालय का गौरव चौखंभा दिखाई देता है.
हालांकि पर्वतीय श्रृंखलाओं में बसा पौड़ी नगर दिखने में जितना अच्छा है, उतना ही वह समस्याओं से घिरा हुआ भी है. गढ़वाल का मुख्यालय होते हुए भी पौड़ी की जनता तब से लेकर अब तक पानी के लिए तरसती रह गई. हमारे समय में पानी की समस्या केवल गर्मियों में होती थी, लेकिन अब तो सुनने में आ रहा है कि वहां सर्दियों में भी पानी के लिए लोग परेशान रहते हैं. परंतु जब भी सामाजिक या सांस्कृतिक एकता या जागरूकता की बात हो, तो समस्त उत्तराखंड में पौड़ी की भूमिका सदैव अग्रणी रही है. फिर चाहे वह गढ़वाल विश्वविद्यालय का आंदोलन हो या उत्तराखंड राज्य आंदोलन का केंद्र स्थल. वह बात अलग है कि गढ़वाल विश्वविद्यालय का आंदोलन का प्रारंभ पौड़ी में हुआ और विश्वविद्यालय श्रीनगर में बना. इसी प्रकार उत्तराखंड राज्य आंदोलन की भूमिका पौड़ी के रामलीला मैदान में लिखी जाती थी, जबकि राज्य बनने के बाद भले ही पौड़ी जिला से 5 मुख्यमंत्री हो चुके हों, लेकिन पौड़ी का उसका कोई विशेष लाभ नहीं मिला. अब जिस नगर में एक ढंग का बस अड्डा भी नहीं बन पाया हो, उसकी अधिक चर्चा क्या करें?
बेटी के पिता की भावनाओं से अधिक समाज व संस्कृति की रक्षा को दिया महत्व
लेकिन यहां बात वर्तमान में पौड़ी के नगर पालिका अध्यक्ष श्री यशपाल बेनाम जी की पुत्री के विवाह की चल रही है. ज्ञात हो कि उनकी बेटी ने अमेठी के एक मुस्लिम युवक से प्रेम विवाह करने के लिए अपने परिवारजनों को विवश किया कि वह विवाह पौड़ी से ही करेंगी. अमेठी का मुसलमान युवक अपनी बारात लेकर देवभूमि पौड़ी में आएगा और पूरे उत्तराखंड को यह बता कर जाएगा कि जब हिंदू अपने धर्म और संस्कृति को अपनी देवभूमि में भी नहीं बचा पा रहे हैं, तो आगे बात करना ही बंद कर दें. लेकिन गत एक सप्ताह से जिस प्रकार से सोशल मीडिया में इस बेमेल और संस्कृति वाले विवाह की कड़ी आलोचना हो रही थी और वहां की धर्मभीरु जनता ने इस विवाह की आलोचना ही नहीं, बल्कि विवाह को रोकने की प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष घोषणा भी कर दी थी, उससे केवल पौड़ी ही नहीं, बल्कि समस्त उत्तराखंड में रोष व्याप्त होने लगा था.
यदि 1947 में भी इसी प्रकार सोशल मीडिया आ गया होता, तो नहीं होता भारत का विभाजन
पहाड़ों का शांत वातावरण कहीं दूषित ना हो, इसलिए वहां के भाजपा के नेता व नगरपालिका अध्यक्ष ने एक समझदारी का निर्णय लिया और एक बेटी के पिता की भावनाओं से अधिक समाज व संस्कृति की रक्षा को महत्व देते हुए इस विवाह समारोह को ही स्थगित कर दिया.डा. राजेश्वर उनियाल ने कहा, आप भले ही सोशल मीडिया की कितना भी मजाक उड़ाएं, लेकिन मुझे लगता है कि यदि 1947 में भी इसी प्रकार सोशल मीडिया आ गया होता, तो फिर नेहरू और गांधी जी भी भारत का विभाजन नहीं करवा पाते और आज हम अखंड भारत के वासी होते.