पौड़ी. कोरोना संकट के बीच कई उत्तराखंड में सदियों से लगने वाले मेले इस बार नहीं लगे हैं. पौड़ी गढ़वाल विकासखंड कल्जीखाल में प्रतिवर्ष 6-7 जून में लगने वाला 2 दिवसीय पारंपरिक एवं पौराणिक मुंडेश्वर/खैरलिंग मेले का भव्य आयोजन कोरोना महामारी पर भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए इस वर्ष नहीं हो पाया.
इस वर्ष झटकंडी गांव के मंदिर पुजारी जी द्वारा मंदिर में भगवान शिव एवं मां काली की पूजा अर्चना कर थैर गांव से आए हुए भोग प्रसाद को भगवान शिव को चढ़ाया गया, जब से यह मेला शुरू हुआ है शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि खैरलिंग महादेव का मेला ना हुआ हो, इस कोरोना रूपी आपदा की वजह से इस साल खैरलिंग मेला भी स्थगित करना पड़ा.
खैरलिंग मेले का अनुष्ठान मेले से 1 दिन पहले थैर गांव में रात्रि से शुरू हो जाता है. 1 दिन तक रात को होने वाला यह अनुष्ठान अलौकिक होता है. इस अनुष्ठान में रात को खैरलिंग महादेव के साथ मां काली एवं अन्य देवताओं को ढोल दमाऊ की थाप नचाया जाता है और अंत में मंडाण लगाया जाता है, जिसमें पूरे गांव के लोग गोलाई में नृत्य करते हैं और अगले दिन मेले की सुबह फिर से खैरलिंग महादेव को नचाया एवं नहलाया जाता है, फिर सभी लोग ढोल दमाऊ की थाप में नाचते-नाचते मेले की ओर बढ़ते हैं, परंतु इस बार यह अलौकिक अनुष्ठान थैर गांव में भी नहीं हो पाया.
पिछले वर्ष तक मेले के पहले दिन महादेव की ध्वजा (सबसे बड़ी बांस) के साथ दर्जनों गांव के हजारों श्रद्धालु पारंपरिक वाद्ययंत्र ढोल धमाकों की थाप में नाचते हुए खैरलिंग महादेव को ध्वजा चढ़ाते हैं. परंतु इस बार खैरलिंग महादेव का थाल खाली दिखाई दिया जहां प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में लोगों को पांव रखने तक की जगह नहीं मिलती थी.