लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उत्तराखंड की पांच सीटों से सभी उम्मीदवारों का ऐलान होने के बाद नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों-टिहरी, पौड़ी गढवाल, नैनीताल, अल्मोड़ा, हरिद्वार से इस बार नए-पुरानों के बीच जंग है। उत्तराखंड के संसदीय इतिहास को देखें तो लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहा है। वहीं टिहरी संसदीय क्षेत्र में 2024 के लोकसभा चुनाव में यह पहली बार है कि मोदी सरकार के दो कार्यकाल में विकास के तमाम दावों के बावजूद श्रीमती राज्यलक्ष्मी शाह को पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार की ओर से मिल रही कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
2009 में विजय बहुगुणा ने जीता था चुनाव
यहां इस बार उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार ने लोकसभा चुनाव में ताल ठोंकी है और उन्हें मिल रहे भारी जनसमर्थन से इस बार टिहरी का चुनावी रण रोचक बन गया है। बता दें कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस का गढ़ रहे टिहरी संसदीय क्षेत्र से आखिरी बार कांग्रेस के प्रत्याशी 2009 में विजय बहुगुणा ने चुनाव जीता था। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार निशानेबाज जसपाल राणा मैदान में थे, जिन्हें 2 लाख 10 हजार 144 वोट मिले थे, जबकि बहुगुणा को 2 लाख 63 हजार 83 मत मिले और विजयी हुए।
2012 के उपचुनाव में पहली बार सांसद बनीं थी श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह
इसके बाद टिहरी से कोई भी कांग्रेसी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है। बहुगुणा के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए। 2012 के उपचुनाव के बाद से श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह लगातार टिहरी का प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं। श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह ने 2012 के उपचुनाव में विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा को मामूली अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में साकेत बहुगुणा को जहां 2 लाख 23 हजार 141 वोट मिले थे, जबकि श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह को 2 लाख 45 हजार 838 वोट मिले थे। टिहरी संसदीय क्षेत्र में अन्य दलों का उम्मीदवार या निर्दलीय 2009 के चुनाव के बाद आज तक 11 हजार वोट का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया है।
श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में और आसान हुई संसद की राह
देश की राष्ट्रीय राजनीति में श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व के बाद टिहरी संसदीय क्षेत्र में सांसद श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह का मुकाबला साल दर साल और आसान हो गया। भाजपा उम्मीदवार श्रीमती राज्य लक्ष्मी को 57 प्रतिशत मतदाताओं के 2014 में 4 लाख 46 हजार 733 वोट मिले थे, जबकि के साकेत बहुगुणा को 2 लाख 54 हजार 230 वोट ही मिले। नरेंद्र मोदी के चेहरे के बाद टिहरी का चुनाव भाजपा के लिए न सिर्फ एकतरफा हो गया, बल्कि इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी की जीत का अंतर (बढ़त) भी 2 लाख के आसपास हो गया। टिहरी संसदीय क्षेत्र में 2014 से पहले भाजपा प्रत्याशी का जो जीत का अंतर 20 से 30 हजार वोटों का होता था। इससे टिहरी की सांसद श्रीमती माला राजलक्ष्मी अजेय हो गईं।
कांग्रेस का दो से ढाई लाख का वोटबैंक हमेशा रहा उसके साथ
2019 के लोकसभा चुनाव में श्रीमती माला राजलक्ष्मी शाह को टिहरी के 64 प्रतिशत मतदाताओं का साथ मिला और वे 5 लाख 65 हजार 333 मत पाकर विजयी हुईं। यहां इस चुनाव में कांग्रस के उम्मीदवार प्रीतम सिंह थे, जिन्हें 2 लाख 64 हजार 747 वोट मिले। हालांकि इस संसदीय क्षेत्र की एक खास बात यह भी है कि कांग्रेस का 2 से ढाई लाख का वोटबैंक हमेशा उसके साथ रहा है। यह पहली बार है कि 2024 का चुनाव में श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह को अब तक के चुनाव में सबसे कड़ी चुनौती मिलने के आसार हैं। देखना दिलचस्प होगा कि 2024 का चुनाव परिणाम में टिहरी में किस करवट बैठता है।