घनसाली. कोरोना संक्रमण ने जहां दुनिया की रफ़्तार को कैद कर रख दिया, वहीं इस दौरान कई युवा इसे अवसर में बदलने की दिशा में भी बढ़े हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं जनपद टिहरी गढ़वाल के ग्राम चकरियाड़ा, पट्टी नैलचामी, भिलंगना ब्लाक के प्रवासी युवा कीर्तिलाल और संजयलाल की. कीर्तिलाल का बचपन का सपना था कि वे कुछ गांव में ही ऐसा करें, जिससे स्वयं के रोजगार के साथ गांव के कुछ और बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार दिया जा सके. किंतु आम उत्तराखंडी युवा की तरह कक्षा 12वीं करने के बाद पहाड़ में रोजगार स्थापित करने का अनुभव, पूंजी और उचित मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण कीर्तिलाल को भी मुंबई महाराष्ट्र नौकरी के लिए जाना पड़ा.
कीर्तिलाल ने मुंबई, पुणे के होटलों में लगातार 20 साल तक काम किया और अब होटल में शेफ की अच्छी पोजिशन पर पहुंचे ही थे तो कोरोना संक्रमण के लाकडाउन से 20 साल से चली आ रही नौकरी छूट गई. कीर्तिलाल ने एक महीने तक कोराना कम होने का इंतजार भी किया, किंतु लंबे समय तक स्थिति सुधरते न देख कर उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाई गई श्रमिक ट्रेन में अपने बचपन के सपने को लेकर पुणे से गांव के लिए रुख कर दिया. पुणे से गांव आते समय कीर्तिलाल ने ठान ली थी कि अब रोजगार के लिए दूसरे प्रांत नहीं आऊंगा और जो रोजगार स्वरोजगार करूंगा अपने गांव राज्य में ही करूंगा.
लाकडाउन ने पूरा किया कीर्तिलाल के बचपन का सपना
कीर्तिलाल ने 20 साल की जो नौकरी होटल में की वह महाराष्ट्र ही छूट गई, लेकिन जो पार्ट टाइम की नौकरी कुछ समय ही की, वह कीर्ति के बचपन के सपने को साकार करने काम आ गई. कीर्तिलाल पुणे में नौकरी करने के साथ साथ पार्ट टाइम एक फुटवेयर कंपनी में भी 4 घंटे काम करते थे. कोरोना संक्रमण के लाकडाउन ने फुलटाइम नौकरी और पार्ट टाइम नौकरी दोनों छीन ली. फुटवेयर कंपनी में 4 घंटे की यह पार्टटाइम नौकरी करते करते कीर्तिलाल को अपने बचपन के सपने साकार करने की उम्मीद जग गई थी और काम के साथ कीर्ति ने फुटवेयर उद्योग के लिए लगने वाली जरूरी मशीनों का तकनीकि ज्ञान, मशीनों की उपलब्धता आदि का ज्ञान भी हासिल किया. कोरोना से पहले फुल टाइम व पार्टटाइम नौकरी के बीच कीर्तिलाल सोचते थे कि कभी गांव जाऊंगा तो ऐसा कुछ सोचेंगे. इस दौरान लाकडाउन और कोरोना ने यह अवसर दे दिया, जिसका कीर्तिलाल ने पूरा लाभ उठाया.
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर बनने के संबोधन ने दी हौसलों को उड़ान
इस बीच प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर बनने के संबोधन ने कीर्तिलाल के हौसलों को उड़ान दी और कीर्तिलाल ने अपनी थोड़ा जमा पूंजी से गांव में ही अपने भाई संजयलाल के साथ चप्पल उद्योग शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया.
कीर्तिलाल ने अब ठान ली थी कि मुझे चप्पल उद्योग ही शुरू करना है, लक्ष्य तय करने के बाद कीर्तिलाल ने दिल्ली में अपने ही क्षेत्र के श्री अनिल रावत जी से मार्गदर्शन लिया और श्री रावत जी के मार्गदर्शन से कीर्तिलाल व संजयलाल पुत्र अषाड़ू लाल ने दिल्ली से इस उद्योग के लिए लगने वाली जरूरी मशीनों को खरीदकर का पहाड़ी हिल चप्पल उद्योग नैलचामी के चकरियाड़ा गांव में स्थापित कर लिया है.
प्रतिदिन बना रहे हैं 4000 जोड़ी स्लीपर चप्पलें
कीर्तिलाल ने बताया कि हम अभी आटोमेटिक पावर प्रेस मशीन से प्रतिदिन 4000 जोड़ी स्लीपर चप्पलें प्रतिदिन बना रहे हैं. एक जोड़ी स्लीपर की कीमत 80 रुपए के करीब है. कीर्तिलाल ने कहा कि हम पहाड़ों के रास्तों, कठिन दिनचर्या से भली भांति वाकिब हैं और हम उच्च गुणवत्ता का मटैरियल इस्तेमाल कर पहाड़ के रास्तों के अनुरूप मजबूत चप्पलें बना रहे हैं. साथ ही आकर्षक रंग और डिजाइन का भी ध्यान रखा जा रहा है.
कीर्तिलाल ने बताया कि अन्य कपनियां पहाड़ के रास्तों और पहाड़ के परिवेश से उतना परिचित नहीं होती, जबकि हमें गांव के रास्तों, महिलाओं, काम करने वाले लोगों के कठिन सफर का अनुभव है. कीर्ति ने कहा पहाड़ के रास्तों पर हमने खुद ठोकरें खाई हैं, इसलिए पहाड़ के लोगों के पैरों के लिए सबसे आरामदायक, मजबूत फुटवेयर उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है.
सरकार से मदद की दरकार, तब मिलेगा और 50 लोगों को रोजगार
कीर्तिलाल ने बताया कि अभी हम सिर्फ स्लीपर चप्पलें ही बना रहे हैं. इसके बाद अगर अन्य मशीनों को खरीदने के लिए सरकार की मदद मिली तो हम सभी तरह के फुटवेयर यहां गांव में ही तैयार करेंगे. कीर्तिलाल ने बताया कि हम अभी दो भाई स्वयं और दो और युवाओं को रोजगार देने में सफल हुए हैं. अगर सभी तरह की मशीनें लग जाती हैं तो गांव के कम से कम 40 से 50 लोगों को रोजगार मिल सकेगा.
स्थानीय उत्पादों को खरीदकर सर्मथन की उम्मीद
मार्केटिंग पक्ष के बारे में पूछे जाने पर कीर्तिलाल ने कहा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर बनने और लोकल पर वोकल के आह्वान के कारण हमें यह ऊर्जा मिली है कि गांव में ही ऐसे उद्योग शुरू करें अब यह राज्य सरकार और हर उत्तराखंडी दुकानदार, आम आदमी की सामाजिक जिम्मेदारी है कि स्थानीय उत्पादों को खरीदकर स्थानीय उद्योग को ताकत दें. कीर्तिलाल ने कहा कि मुझे पूरा यकीं है कि लोग अब हमारे स्थानीय प्राडक्ट पहाड़ी हिल को ज्यादा से ज्यादा बेचेंगे और खरीदेंगे.