देहरादून. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में राज्य की राजनीति से जुड़े कई मिथक टूटने और राज्य निर्माण के 22 साल बाद किसी एक पार्टी के लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल करने के बाद राज्य के राजनीतिक समीकरणों को एक बार फिर से गढ़ने की तैयारी शुरू हो गई है.
पत्रकार से विधायक बने उमेश कुमार ने उत्तराखंड में नए क्षेत्रीय दल के गठन करने का ऐलान किया है. विधायक उमेश कुमार ने इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा है कि उत्तराखंड में राजनीतिक क्षेत्र में एक कदम औऱ आगे बढ़ाते हुए एक सशख़्त क्षेत्रीय पार्टी के गठन करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें सम्पूर्ण उत्तराखण्ड के सभी 13 जिलों के राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े युवा, महिलाएं व सम्मानित जन जुड़ रहे हैं. विधायक उमेश कुमार ने कहा कि इस सम्बंध में पार्टी की घोषणा हेतू 09 अप्रैल को लार्ड वेंटेश्वर वेडिंग पॉइंट सुभाष रोड देहरादून में की जाएगी.
उल्लेखनीय है कि राज्य निर्माण के बाद माना जाता था कि उत्तराखंड कि राज्य में तीसरा विकल्प न होने के कारण राज्य की जनता एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को मौका देती है. जनता के इसी राजनीतिक मिजाज को देखकर अब तक प्रमुख विपक्षी दल भी पांच साल विपक्ष में आराम कर अगले चुनाव में बिना प्रयास के खुद को सत्ता का स्वाभाविक दावेदार मानता था और 4 साल तक जनता के मसलों पर गहरी नींद में रहने के बाद चुनावी वर्ष 5वें साल में वह अपनी पार्टी को सक्रिय करने के बजाए टिकट किसे देने हैं, मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस गुणाभाग में अपना समय खपा देता था. लेकिन इस बार के चुनाव में उत्तराखंड की शांतिप्रिय जनता ने पूरे कार्यकाल में गहरी नींद में सोने वाले विपक्षी दलों की नींद में खलल नहीं डाला और अपना जनादेश भाजपा को देकर दोबारा सत्ता सौंप दी.
कांग्रेस की उदासीनता, उक्रांद की निष्क्रियता और आप की देर से सक्रियता के बाद उत्तराखंड में एक सशख़्त क्षेत्रीय नए दल की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी, जिसे पत्रकार से विधायक बने उमेश कुमार अब धरातल पर साकार करने का ऐलान कर चुके हैं. राज्य में नए दल की जरूरत इसलिए भी बढ़ गई थी कि उत्तराखंड में इस चुनाव में उक्रांद को राज्य की जनता ने सिरे से खारिज कर दिया और अब उक्रांद के भविष्य में दूर दूर तक रोशनी नहीं दिखाई दे रही है.
उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो अब तक जो निर्दलीय या उक्रांद से जीतते थे, वे अपना व अपनों का भला करने सरकार का हिस्सा बन जाते थे, जबकि इस बार निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने इस धारणा को बदला है और पहले ही दिन से उत्तराखंड के मुद्दों पर जनता की बात उठाने का ऐलान किया है. सरकार से दूरी और राज्य के मसले जरूरी की रणनीति पर चल रहे विधायक उमेश कुमार का पार्टी गठन के निर्णय ने लोगों को राज्य में नया विकल्प मिलने की उम्मीद बढ़ा दी है.
बता दें कि प्रदेश में जहां कई अन्य निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों को जनता ने घर बैठा दिया, वहीं खानपुर से जीते विधायक ने राज्य में दोबारा सत्ता का इतिहास रचने वाली पार्टी भाजपा और विपक्ष कांग्रेस के उम्मीदवारों को चुनावी अखाड़े में पटखनी देकर निर्दलीय जीत हासिल कर अपना परचम लहराया है. खास बात यह है कि राज्य में इस चुनाव में एक मात्र पत्रकार उमेश कुमार ही ऐसे नेता रहे हैं जो ऐसे निर्दलीय विधायक बने हैं, जिनका कांग्रेस और भाजपा से कोई पार्टीगत राजनीतिक नाता नहीं रहा है. विधायक उमेश कुमार उत्तराखंड के हितों के लिए प्रखर आवाज उठाते रहे हैं और अब उत्तराखंड के हितों को लेकर एक राजीतिक दल बनाकर आवाज बुलंद करने का अपना इरादा जाहिर कर चुके हैं. देखना होगा अब राजनीतिक दल के रूप में राज्य की जनता उनका कितना साथ देती है.