देहरादून. बुधवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब देहरादून में स्वर्गीय राजेन टोडरिया की सातवीं पुण्यतिथि पर विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं जन सरोकारों के लिए कार्यरत संगठनों और संस्थाओं के लोगों ने एकत्र होकर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. आज के कार्यक्रम में विभिन्न संगठनों के प्रबुद्ध लोगों ने भागीदारी करते हुए राजेन टोडरिया को साहित्यकार, रचनाकार, कवि, समाजसेवी, संस्कृतकर्मी, स्वप्नदृष्टा, भविष्य दृष्टा आदि बताते हुए उत्तराखंड का सच्चा प्रेमी बताया. स्व. राजेन टोडरिया जी की सातवीं पुण्यतिथि पर उनके द्वारा सृजित जनमंच संगठन के साहित्य को भी सभी के बीच बांटा गया.
जयप्रकाश पंवार द्वारा निर्मित चलचित्र का हुआ लोकार्पण
स्वर्गीय राजेन टोडरिया के विचारों से सबको अवगत कराया गया. इस दौरान जयप्रकाश पंवार द्वारा निर्मित चलचित्र भी स्वर्गीय राजेन के सम्मान में लोकार्पण किया गया. बुधवार 5 फरवरी को पुण्यतिथि की सातवीं वर्षगांठ पर भागीदारी करने वाले संगठनों में युवा आह्वान, प्राउड पहाड़ी, गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान, गैरसैंण राजधानी संघर्ष समिति, उक्रांद, जनसंवाद, वन-यूके, उत्तराखंड जन एकता पार्टी, नवनिर्माण सेना, समाचार इंडिया, गढ़ सेना, चारधाम हकूक धारी, उत्तराखंड प्रगतिशील, डिस्कवर हिमालय, अपना परिवार, उत्तराखंड गैजेटियर, जन अधिकार मंच, आई लव माय उत्तराखंड, संस्कृति, जनमंच, उत्तराखंड बेरोजगार संघ, रीजनल रिपोर्टर, उत्तराखंड महिला मंच, न्यू दून स्पाइसेस, उत्तराखंड बेरोजगार संघ, पर्वतजन, हिल्स डेवलपमेंट मिशन आदि मौजूद रहे. श्रद्धांजलि सभा का संचालन स्वर्गीय राजेन टोडरिया के सुपुत्र लुशान टोडरिया एवं प्रदीप सती द्वारा किया गया.
सभा में अपने संस्मरण रखने वालों में पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगति, शशि भूषण भट्ट, रघुवीर बिष्ट, शीशपाल गुसाईं, श्रीमती कमला पंत, बच्ची राम कंसवाल, रविकांत उनियाल, श्रीमती गीता गैरोला, मनोज ध्यानी, पीसी थपलियाल, योगेश भट्ट, सुनील ध्यानी, पुरुषोत्तम भट्ट, अमरेंद्र बिष्ट, प्रकाश गौड़, सुशील, रोहित ध्यानी, आशीष गौड़, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, अनिल रावत, सुभाष रतूड़ी, सचिन थपलियाल, अंकित बिष्ट, शंकित राणा, सुमन नेगी, पूजा चमोली, सुप्रिया रतूड़ी आदि रहे.
अलग राज्य के लिए अपने लेखों से जगाई अलख : शीशपाल गुसाईं
राजेन टोडरिया जी की 7वीं पुण्य तिथि पर अपने संबोधन में पत्रकार शीशपाल गुसाईं ने कहा कि राजेन टोडरिया जी जुझारु पत्रकार थे. और आंदोलनकारी भी. उन्होंने कर्मचारियों के लिए भी लड़ाइयाँ लड़ी. उसके बाद अलग राज्य के लिए अमर उजाला अखबार में अपने लेखों से अलख जगा कर एक एक्टिविस्ट की भूमिका निभाई. शीशपाल गुसाईं ने कहा कि टोडरिया जी के हिमालय, खाली होते पहाड़, परिसीमन, पर लिखे उनके लेख आज भी याद आते हैं.
हिमाचल में भी दी सेवाएं
टोडरिया जी ने हिमाचल में भी सेवाएं दी और वहाँ उन्होंने ब्यारो चीफ, न्यूज एडिटर, रेजिडेंट एडिटर जैसे बड़े पदों की भूमिका अमर उजाला और दैनिक भास्कर अखबार में निभाई. 2006-7 में वह देहरादून लौटे. यहाँ उन्होंने क्लासिफाइड अखबार शुरू किया और एक मैग्जीन भी. शीशपाल गुसाईं ने कहा कि वह पहाड़ के मुद्दों पर हमेशा सक्रियता में दिखाई देते थे. वह पहाड़ के मुद्दों पर लड़ाकू किस्म के इंसान थे, फ्रंट पेज की खबर का बॉटम लिखने का उनमे बेहद हुनर था . शीशपाल गुसाईं ने कहा कि उन्होंने लेखनी से नाम कमाया. मैंने उन्हें 93 से 2013 तक देखा, उनकी लोग एक एक घण्टा इंतज़ार करते थे. 2013 में वह इस संसार से 55 वर्ष की आयु में चल दिये. लेकिन उनके काम हैं जिसका हम वर्णन करते रहेंगे.